बुधवार की रात तुकाराम ओंबळे को ताज होटल की फायरिंग पता लगने पर मैरीन ड्राइव पर तैनात कर दिया गया. आधी रात 12.45 का समय था. तुकाराम ओंबळे को अपने वाकी टाकी पर अलर्ट मिला कि दो आतंकवादी स्कोडा कार को हाइजैक करके गिरगांव चौपाटी की ओर बढ़ रहे हैं. कुछ मिनट बाद ही वह स्कोडा तुकाराम ओंबळे के पास से सर्राती हुई गुजर गई.
तुकाराम ओंबळे तुरन्त अपनी मोटरसाइकिल पर कूद कर स्कोडा के पीछे दौड गया. डीबीमार्ग पोलिस थाने की एक टीम ने पहले से ही चौपाटी सिगनल पर नाका बन्दी की हुई थी. आतंकवादियों ने एके 47 से गोलियों चलायीं लेकिन बैरिकैड्स की वजह से इन आतंकवादियों को कार की स्पीड कम करनी पड़ी.
तुकाराम ओंबळे ने अपनी मोटरसाइकिल ओवरटेक करके कार के आगे अड़ा दी जिससे कार के आतंकवादियों को अपनी दांयी ओर डिवाइडर पर चढ़ा देनी पड़ी और इससे उन आतंकवादियों का ध्यान कुछ ही सैकंडो के लिये बंट गया.
तुकाराम ओंबळे ने मोटरसाइकिल से छलांग लगायी और आतंकवादी आमिर कासिब की एके 47 के राइफल की नाल दोनों हाथों से पकड़ कर एके47 छीनने की कोशिश की. राइफल की नाल तुकाराम ओंबळे की ओर गई. आमिर कासिब ने राइफल का ट्रिगर दबा दिया और उस राइफल से निकली गोलियों की बौछार ने तुकाराम ओंबळे के पेट को छलनी कर दिया. तुकाराम ओंबळे बेहोश होकर गिर गया लेकिन उसके हाथों की पकड़ आतंकवादी की राइफल पर मजबूती से जमी थी. अपनी आखरी सांस तक तुकाराम ओंबळे ने आतंकवादी आमिर कासब को किसी और पर गोली चलाने का मौका नहीं दिया.
तब तक दूसरे पुलिसवालों ने दूसरे आतंकवादी इस्माइल को मार डाला और पुलिस के हाथों तुकाराम ओंबळे की कुर्बानी के कारण आमिर कासिब जैसा खूंखार आतंकवादी जिन्दा हाथ आया और अब हमारी जांच एजेन्सियों के हाथ लगेंगी महत्व पूर्ण जानकारियां.
तुकाराम ओंबळे अपनी पत्नी और बिलखती चार बेटियां छोड़ गया है. यही है हमारा असली हीरो, आईये इसे सलाम करें
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उपसंहार
- मुझे नहीं मालूम कि आप तुकाराम ओंबले की इस शहादत के बारे में जानते हैं.
- मुझे नहीं मालूम कि इसे तिरंगे में लपेटा गया या नहीं.
- मुझे नहीं मालूम कि इसकी शवयात्रा किसी चैनल पर दिखायी गई या नहीं.
- मुझे नहीं मालूम कि किसी देश के प्रधानमंत्री ने इसका नाम राष्ट्र के नाम दिये गये संदेश में लिया,
- पता नहीं कि इसे 21 तोपों की सलामी दी गयी या नहीं,
- इसके दरवाजे पर देशमुख, मोदी या पाटिल एक करोड़ रुपये देने गये या नहीं.
- मुझे यह भी नहीं मालूम कि इसे आतंकवाद से लड़ने का उच्च प्रशिक्षण मिला होगा
और मैं यह सब जानना भी नहीं चाहता.
मुझे इतना मालूम है कि ये मेरे देश का सच्चा शहीद है.
जी हाँ, यही है सच्चा शहीद लेकिन राजनितिज्ञ अब शहीदों को भी उनके पद और हैसियत के हिसाब से जानते हैं, उनके काम से नही। जिस दिन काम से जानने लगेंगे, उस दिन से राजनिति करने की हिम्मत नहीं कर पायेंगे, लेकिन लगता नहीं कि यह सब होगा।
ReplyDeleteha aise hote hai sachche saheed. Jo aakhiri waqt tak aapani chhamta ka pura upayog karate hai, aur fir unka shikaar to bahut kaam ki cheej hai. Ombale sahab ke parivar ke liye janata ko khud aapani taraf se ek fund banana chahiye.
ReplyDeleteस्व. ओँबळे शहीद पुलिस अधिकारी जी की शहादत व्यर्थ ना जाने पाये -
ReplyDeleteउनके परिवार की ४ बेटीयोँ के भविष्य के लिये भारत की जनता को
सहायता करनी ही चाहीये -
वाकई मीडिया और राजतनेता केवल पद और हैसियत के हिसाब से ही शहीदों का आकलन करते हैं. आंबले जैसे सच्चे बहादुर सपूतों के हिस्से का श्रेय भी दूसरों द्वारा लपक लिया जाता है.
ReplyDeleteहमें अपने शहीद आंबले साहब पर गर्व है
ham bhee aapke sath hain. narayan narayan
ReplyDeleteहां सही कह रहे है आप्। ओंबळे असली शहीद है।
ReplyDeleteहमें महान शहीद ओबले जी पर गर्व है, भगवान उनकी आत्मा को शक्ति प्रदान करें।
ReplyDeleteसच्चे शहीद की जानकारी देने का धन्यबाद . निहत्ते बहादुर ने जान देकर बहुत बड़ा काम काम किया . और चर्चा होती रही ज्यादातर बिना लड़े शहीदों की .
ReplyDeleteशहीद ओबले जी ke baarein mein batane ke liye shuran,hame pata hi nahi tha,wo hi hai sachhe shahid.hamara naman.
ReplyDeleteआपने सही कहा, यही है हमारा असली हीरो, आईये इसे सलाम करें. वह भारत मां का सच्चा सपूत था, मां की गोदी में जा सोया.
ReplyDeleteवंदेमातरम्
ReplyDeleteसच्चे मायनों में शहीद हैं श्रीमान ओंबले जी, मैं उनको नमन करता हूं.
ReplyDeletehamara naman aur shraddhanjali...!
ReplyDeleteसही कहा, यही था असली शहीद. लेकिन लोगों को कैसे पता चले, उन्हें तो बस उन चंद भाग्यशाली बड़े अफसरों की शहादत के बारे में ही पता चल पता है, जिन्हें मीडिया ग्लैमरस पाता है, और दो बड़े नेता वोट बैंक का आसान और सस्ता रास्ता.
ReplyDeleteअरे भैया, ताज और ओबेराय से फ़ुरसत मिले तभी तो आगे की सोचेंगे ना…
ReplyDeleteसच्चे शहीद की जानकारी देने का धन्यबाद ..... हमें महान शहीद दरोगा तुकाराम ओंबळे जी पर गर्व है, भगवान उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें !
ReplyDeletenahi bhulenge inki shahadat ko shat shat namam...
ReplyDeleteओंबळे असली शहीद है..
ReplyDeleteजब तक हमारे देश में ऐसे जांबाज़ रहेंगे, देश की स्वतंत्रता सुनिश्चित है।
ReplyDeleteसलाम तुकाराम ओंबळे !
ReplyDeleteमुझे सच में नहीं पता था..
ReplyDeleteजानकारी के लिये धन्यवाद..
शहीद को सलाम..