आडवाणी की प्रेस कांफ्रेंस का लाइव टेलेकॉस्ट देख के हटा हूं, अच्छा हुआ की लाइव देख ली वरना इन पत्रकारों की ताजी बदतमीजी को समझ नहीं पाता. पता नहीं ये किस आटे का पिसा खाते हैं. क्या ये उसी समाज की उपज हैं जहां उन लोगों का जन्म हुआ जो अपने कर्तव्य और देश के लिये बड़ी से बड़ी कुर्बानी दे गये.
आज आडवाणी ने प्रेस कांफ्रेस बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे के लिये बुलवाई थी मुद्दा था देश का 25 लाख करोड़ रुपया जो कि काला धन बनकर स्विस बैंको में चला गया है.
कुछ समय पहले जर्मन गर्वनमेंट के हाथ उन लोगों की जानकारी लगी जिनका पैसा स्विस बैंकों में जमा है, उन्हें यह भी पता लगा कि किसका कितना पैसा है वहां. तो उन्होंने सारी दुनिया में ऐलान किया कि जो-जो देश हमसे पूछेगा, हम उन्हें बतायेंगे कि वहां पर किस आदमी का कितना-कितना धन इन बैंकों में है.
इस बात को कई महीने हो गये, एक दो अखबारों में खबरें भी छपी (लेकिन सत्ता के गुलाम पत्रकारों को देशहित नहीं दिखता, इसलिये यह खबरें उतनी तक नहीं दिखाई गयी जितना ये लोग बार गर्लों को दिखा देतें हैं). बिरादर, देश का 25 लाख करोड़ रुपया बाहर भेज दिया गया, और यह भी जानिये कि हम महान हिन्दुस्तानीयों को एक और रुतबा हासिल है, सारे देशों में पैसे जमा करने में हमारा नंबर 1 है, मतलब भारतियों का सबसे ज्यादा पैसा जमा है वहां. वाह रे देश की सरकारों, बहुत रुकवाया करप्शन तुमने पिछले 60 सालों में.
जिस समय यह खबर आई उस समय आडवाणी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर जर्मनी से उन हिन्दुस्तानियों के नाम पूछने का सुझाव दिया जिनका पैसा वहां जमा है, तो बिरादर अपने महाशक्तिशाली प्रधानमंत्री तो नहीं, लेकिन वित्त मंत्रालय की तरफ से टालू जवाब आ गया.
तो आडवाणी ने प्रेस कांफ्रेस बुलाई थी इसलिये कि वो कहें कि है बलशाली प्रधानमंत्री मनमोहन जी, आप जी-20 सम्मेलन में जा रहे हैं वहां मिलेंगे आप जर्मनी के चांसलर से भी, तो हे मनमोहन जी वहां इस बात को उठायियेगा, वहां कहियेगा कि बिरादर दे दो हमें उन लोगों की सूची जिन्होंने देश का पैसा बाहर जमा कर रखा है. और यह बात पब्लिक फोरम पर आडवाणी ने इसलिये कही कि पिछले पत्र की तरह यह भी दबा न दी जाये.
पूरी प्रेस कांफ्रेंस में आडवाणी ने बताया की किस तरह इस पैसे का इस्तेमाल देश की बेहतरी के लिये होना चाहिये, और उन्होंने इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया, और यह भी कहा कि वो जरूर पूछेंगे जर्मनी से कि बताओ उन लोगों के नाम जिन्होंने देश को चूना लगा लगा कर पैसा स्विस बैंकों में भेज दिया.
एक पत्रकार ने उनसे कहा कि अगर उन लोगों के नाम पता चल गये जिनका इतना पैसा जमा है तो भूचाल आ जायेगा. तो आडवाणी ने उससे कहा कि मैं चाहता हुं कि ऐसा हो, उन लोगों के नाम खुलें जिससे देश का पैसा देश में वापस आ पाये.
उन्होंने इस प्रेस कांफ्रेंस में यह भी बताया कि बीजेपी की सरकार बनने पर वो देश में शिक्षा के लिये काम करने के लिये प्रतिबद्ध हैं, और देश में उच्च कम्प्युटर शिक्षा लाने के लिये प्रतिबद्ध हैं.
लगभग 45 मिनिट चली यह प्रेस कांफ्रेस, और बातें सारी यहीं हुईं, लेकिन अंत होते-होते एक सयाने पत्रकार ने पूछ लिया कि वरुण गांधी पर क्या खयाल हैं, तो आडवाणी ने वही कहा जो वह कहते हैं आ रहे हैं, कि वरुण ने कहा है कि बयान मेरा नहीं है.
और भाई मेरे, इन महान पत्रकारों की जमात ने 45 मिनिट की कांफ्रेंस में से क्या निष्कर्ष निकाला सिर्फ आखिरी पांच मिनट? इन्होंने निकाला
'आडवाणी ने वरुण का बचाव किया'
- इन्होंने यह नहीं सुना कि आडवाणी ने कहा कि देश का 285 करोड़ रुपया काला धन बन चुका है
- इन्होंने यह नहीं सुना कि आडवाणी ने मनमोहन से उन लोगों का नाम पूछने को कहा जिनका पैसा है यह
- इन्होंने यह नहीं सुना कि इस पैसे को देश में वापस लाना है
- इन्होंने यह नहीं सुना कि आडवाणी ने कहा कि भूचाल आये तो भी उन लोगों के नाम जगजाहिर होने चाहिये
- इन्होंने बस वही सुना जिसे सुनने की परमिशन इनके आकाओं ने दी.
- इन्होंने सुना बस वरुण, देश को यह भूल गये
जिस-जिसने यह प्रेस कांफ्रेस देखी हो, और बाद में इसके बारे में पत्रकारों की कवरेज देखी हो, उसका खून आज खौल उठा होगा.
जय चौथा खंभा...
और बीजेपी, वक्त आ गया है कि तुम भी whitehouse की तरह से Youtube पर अपना चैनल लगाओ और अपने भाषण, वक्तव्य और प्रेस कांफ्रेसों के विडियो वहां डालो. कम से कम देश अगर कोई रेफ्रेंस चाहे, तो वह तो मिले.