Tuesday, March 3, 2009

फरिश्ते सारे पाकिस्तानी होते हैं

पाकिस्तान में 10-12 आतंकवादी 15 मिनट तक गोलाबारी कर गये, चार-छ: पुलिस वाले मार गये, 6 बेचारे क्रिकेट खिलाड़ी भी घायल हो गये. कुल मिलाकर मुम्बई जितना घमासान तो नहीं किया, लेकिन खबर बड़ी बना गये. 

दिमाग में उथल-पुथल चल रही है. समझिये डेविल और ऐंजल में जंग है. कंधे के एक तरफ शैतान बैठा है, और दूसरे कंधे पर फरिश्ता. बातचीत कुछ इस तरह चल रही है.

angeldevil

शैतान: ओये! बल्ले! क्या सही मारा. पाकिस्तान कि बज गई... ओये वाह!!
फरिश्ता: बंधु, इस तरह खुशी मनाना ठीक नहीं. याद रखिये, वहां भी निर्दोष इन्सान की मौत हुई है.
शैतान: ओये चुप्प खोत्ते! इन्होंने ने अपने मुम्बई में आग लगाई थी, अब रोते फिरेंगे.
फरिश्ता: भाई, इस मुश्किल वक्त में अपना फर्ज बनता है कि आतंकवाद के शिकार लोगों के लिये प्रार्थना करें.
शैतान: काहे का आतंकवाद बे? सब पाकिस्तानवाद है. इस मुल्क ने पूरी दुनिया में तबाही फैला रखी है. सारे आतंकवादी यही पैदा कर-करके, कर-करके दुनिया भर में भेज रहा है.
फरिश्ता: नहीं भाई. पाकिस्तान भी आतंकवाद का शिकार है.
शैतान: जब दूसरों का घर जलाने के लिये बम बनायेंगे तो अपने घर में चिंगारी भी दिख जाए तो तबाही के लिये तैयार रहना चाहिये.
फरिश्ता: लेकिन मरने वालों के बारे में तो सोचिये.
शैतान: सोच रहा हूं न. बेचारे श्रीलंकी पिस गये.
फरिश्ता: और जो पाकिस्तानी नागरिक मरे.
शैतान: चल तू सेंटी मत कर यार. मैं तो सोच रहा हूं कि पाकिस्तान को अब आतंकवाद का क्या मजा आया, तू मेरे माइंड का ट्रेक मत चैंज कर.
फरिश्ता: मतलब आपको वहां मरने वाले निर्दोष नागरिकों के लिए कोई रंज नहीं.
शैतान: यार, तेरेको बोला न कि अभी बहुत दिनों बाद दुश्मन मुश्किल में पड़ा है, खुश हो लेने दे!
फरिश्ता: भाई, मैं तो बस समझना चाह रहा हूं कि आप किसकी मौत पर खुश हो रहे हैं.
शैतान: शर्म कर ओये, तू कहना क्या चाहता है? तू भूल गया कि पाकिस्तानियों ने मुम्बई पर हमला करवाया था!
फरिश्ता: बंधू, जो पाकिस्तान में मरे हें, वो उस हमले में शामिल तो नहीं थे. उन्हें भी आतंकवादियों ने मारा.
शैतान: उन्होंने आतंकवादी बनाये, अब मजा ले रहे हैं बेट्टे!
फरिश्ता: तो आप समझते हैं कि अगर पाकिस्तानी निर्दोष मरें तो सही है?
शैतान: ओये स्याप्पे! तू चाहता क्या है? जिन्होंने अपने देश पर हमला कराया उनके लिये मैं रोऊं?
फरिश्ता: हमला तो आतंकियों ने किया, और वो पाकिस्तान को भी उसी तरह शिकार बना रहे हैं, जिस तरह हमें.
शेतान: चल ओये! तू फुट यहां से... तू पाकिस्तान परस्त, देशद्रोही, मक्कार, तू रो जाकर पाकिस्तान.
फरिश्ता: ...

कहते हैं कि दूसरों के मुश्किल वक्त पर खुश नहीं होना चाहिये. यकीन मानिये, मैं पूरी कोशिश कर रहा हूं.

दिक्कत यह है कि दिल मुम्बई हमलों और कितनी ही आतंकवादी घटनाओं के लिये पाकिस्तान और उसकी चुनी (और बिना चुनी) सरकारों को जिम्मेदार मानता है. इसलिये बड़ी vindictive feeling से मुकाबला चल रहा है.

पहली इनिंग में तो शैतान जीत रहा है, लेकिन पूरा विश्वास है कि अंत में जीत फरिश्ते की ही होगी (जैसा की कहते हैं कि होती है), और में पाकिस्तान में होने वाली हर आतंकवादी घटना का पूरी तरह मलाल कर पाऊंगा.

1 comment:

  1. बहुत ही उम्दा तरीके से आपने भुक्तभोगी की मनोदशा का चित्रण किया है......आभार

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