अपनी एक ट्रेन माओवादी आतंकवादियों के कब्जे में है. कई सौ यात्री हैं उस ट्रेन में उन सब की जिंदगी दांव पर है, और सौदा करने वाले हैं हमारे देश के नेता. माओवादी भी तैयार है सौदे के लिये, 1 के बदले 400. बोलो क्या कहती हो दिल्ली सरकार? छत्रधर महतो को छोड़ेंगे?
कंधार के नाम पर भाजपा सरकार को पानी पी-पीकर कोसने वाले यतींद्रनाथ के बदले एक सौदा पहले भी कर चुके हैं. माओवादी इमानदार साबित हुए. POW को छोड़ दिया. दोनों तरफ से अच्छी डील हुई, दोनों सौदागर इत्मीनान में है, पार्टी रिलायबल है, डील चलती रहे.
इसलिये माओवादियों की तरफ से ताजी आफर इतनी जल्दी आ गई, पहले 1 के बदले 10 थे, अब 500 के बदले सिर्फ एक – छत्रधर महतो. क्या अपनी सरकार को सौदा बुरा लगेगा?
{कंधार-कंधार-कंधार} बार-बार मुझे याद आता है कंधार. अब सरकार उन्हीं की है जिन्होंने कंधार का इतना गहन विश्लेषण किया. लेकिन फैसला दूसरा होगा इसकी अपेक्षा व्यर्थ है क्योंकि यतीन्द्रनाथ के मामले में एक उत्साहवर्धक precedent दिया जा चुका है.
मीडिया का गेम भी चालू हो चुका है. ट्रेन तक पुलिस/आर्मी पहुंचे न पहुंचे, कुछ चुनिंदा चैनलों के नुमाईंदे पहुंच गये. ऐसा लगता है जैसे तैयार बैठे थे.
कंधार में देश का हाथ मरोड़ा जा रहा था अजहर मसूद को छुड़ाने के लिये. वो तो एक आतंकवादी था. अब जो सामने है उसके गुट को कोई आतंकवादी नहीं कहता. देश का एक खास कुबुद्धिजीवी वर्ग तो सिर्फ इनके दर्द में जीता, दर्द में मरता है. ये लोग गरीबों के मसीहा, सर्वहारा वर्ग को जिताने वाले, व दुखियों के हमदर्द हैं. तो भाई जब अजहर मसूद जैसे शैतान को छोड़ सकते हैं तो फिर छत्रधर महतो को क्यों नहीं, खासकर तब जब ‘ही इज़ ए गुड मैन’ जैसा कि एनडीटीवी में लगातार दिखाया जा रहा है.
थू ! थू sss
ताजा समाचार है कि छ्त्रधर के लोगों ने ट्रेन छोड़ दी. मतलब डील जमी नहीं, या यह सब एक जबर्दस्त पब्लिसिटी स्टंट था?
माओवादियों के पीछे आखिर बुद्धीजीवी दिमाग है न.
चलिये भला हुआ
ReplyDeleteसीपिआरएफ के जवानों ने आतंकवादी नक्सवादियों से ट्रेन छुड़वा ली है और अब ट्रेन अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गई है
ऐसी राष्ट्रवाद/ देशभक्ति की बातें आजकल अच्छी नहीं लगती हैं, अरे बुरी लगती है तो लगने दो, राष्ट्रवाद की बात करनी है तो सबसे पहले इन नेताओं को रास्ते से हटाओ या देश के युवा को जागृत करो।
ReplyDeleteकिसी का कुछ भी न हुआ पर जिनको अपना हित साधना था उन्होंने अपना हित साध लिया।
सटीक लेखन… नकसलवाद, माओवाद, लेनिनवाद, मार्क्सवाद… सब के सब सिर्फ़ और सिर्फ़ आतंकवादी हैं, लेकिन दिल्ली में बैठे कुछ बुद्धिजीवियों ने इन्हें लॉबिंग दे रखी है… ये पैसा उगाहते हैं और दिल्ली पहुँचाते हैं अरुंधती राय की 5 सितारा होटल की कान्फ़्रेन्स के लिये… नीचता की पराकाष्ठा है…
ReplyDeleteयह प्रोपेगेंडा का हिस्सा था. कल तक जो लोग इनके विरूद्ध कार्यवाही करने का कह रहे थे, आज यात्रियों के साथ अच्छे व्यवहार के लिए इनकी प्रसंशा कर रहे है. चालाकी है.
ReplyDeleteआपने इस एक वाक्य में ही तो सबकुछ कह दिया...
ReplyDelete"माओवादियों के पीछे आखिर बुद्धीजीवी दिमाग है न."
क्षेत्रीय स्तर पर जाने जाने वाले अगर एक ही रात में विश्व स्तर पर जाने जाने लगें....तो फिर वो ऐसा क्यों न करें....
बहुत सही कहा आपने...क्षत्रधर इज इ गुड मैन और नक्सल माओवादी गरीबों के मसीहा हैं...
इस सार्थक लेखन के लिए मैन ह्रदय से आपको धन्यवाद देती हूँ...
रंजना जी, सूरज पश्चिम से उगेगा उस दिन जिस दिन माओवादी गरीबों के मसीहा बनेंगे. इनके मसीहापन की गाथा पहले भी लिख चुका हूं, थोड़ी तकलीफ करिये, और पढ़िये. जहां तक छत्रधर महतो का सवाल है -- considering the atrocities his team is committing, he should be kept in the cell he's in at least till the end of time if not any later.
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