शिवराज सिंह ने कठिन समय में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव क्या जीत लिया उन्हें लगने लगा कि सारे मध्य प्रदेश का निर्बाध कब्जा उन्हें मिल गया, कि लो ठाकुर अपनी मिल्कियत चलाओ अपनी मर्जी से. और अगर इनकी जागीर में कोई ऐसी आवाज़ उभर आये हो जो इन्हें रास न आये, तो उसे अपने हथकंडो से दबाना भी ठीक उसी तरह इन्होंने सीख लिया है जिस तरह से फिल्मों में कोई दबंग जमींदार.
मैं बात कर रहा हूं शमीम मोदी की जो सालों से मध्य प्रदेश के सबसे निचले तबके - ग्रामीण, गरीब, आदिवासी लोगों के हित में आवाज उठा रहीं हैं. इनकी बातें और काम यहां के अमीर इन्डस्ट्री मालिकों के गले नहीं उतरा जो वन के संसाधनों का उपयोग वनवासियों के हित ताक पर रख के अपने हितों के लिये करना चाहते हैं. शिवराज सिंह चौहान पर गरीब लोग दबाव बना पाते हैं कि नहीं यह तो पता नहीं, लेकिन इस इन्डस्ट्री लॉबी ने अपने मुख्यमंत्री को 48 घन्टे दिये थे शमीम से छुटकारा दिलाने के लिये और वहां कि पुलिस ने यह काम 24 घन्टों में ही कर दिखाया.
लाल घेरे में हैं शमीम मोदी, इन्होंने ही अपहरण वगैरा को अंजाम दिया है. देख कर ही डर गया ऐसी दबंग महिला को मैं. आप डरे...?
तो एक सालों पुराने झूठे अपहरण के केस को खोद निकाला गया और शमीम मोदी को गिरफ्तार कर लिया गया. मजे कि बात तो देखिये, जिस व्यक्ति का अपहरण का यह केस था, वह उसी समय अदालत में मौजूद था, और उसने जज से कहा कि ऐसी कोई भी बात नहीं. फिर भी शमीम को गिरफ्तार किया गया.
असल में बात सिर्फ इतनी सी है कि हर्दा जैसी छोटी जगह में इन मोटी आसामियों का राज नहीं चलेगा, तो किसका चलेगा? गरीब आदिवासियों को तो अपने हक का पता भी नहीं. जो लोग जंगलों का बेलाग दोहन कर रहे हैं वो नहीं चाहते कि कोई पढ़ा लिखा व्यक्ति जंगल वासियों को उनका हक समझाये, या उनके लिये आवाज उठाये. इसलिये शमीम मोदी जैसे लोगो को तुरत-फुरत डराने और निकालने की इन्हें सख्त जरुरत महसूस हो रही है.
दरअसल शमीम मोदी के संगठन का नाम है श्रमिक आदिवासी संगठन और इसके काम के चलते जब आदिवासी श्रमिकों को पता लगने लगा कि उन्हें किस कदर दुहा जा रहा है तो उन्होंने अपने मालिकों से शिकायतें कीं. और जब ऐसा हुआ तो मालिक साहबों को बुरा लगा, उनका आरोप है कि 'अपने कर्मचारियों की बढ़ती शिकायतों से वो परेशान हैं' ('they feel harassed by the growing complaints raised by their employees') और समाधान क्या निकाला? शिकायतों का कारण दूर करने के बजाय शमीम को दूर कर दीजिये!
शमीम को 10 फरवरी को गिरफ्तार किया गया और इस समय यह होशन्गाबाद जेल में बंद हैं. और लगता है कि समाज के पुरजोर विरोध के बावजूद राजनीतिज्ञ-उद्योगों के मिलिभगत से यह अभी वहीं रहेंगी.
शमीम कोई नकसली महिला नहीं हैं. वो कोई डॉन-शॉन भी नहीं हैं. शायद उनकी गलती सिर्फ इतनी है कि उनमें संवेदना है. इसका फल तो वो भुगत रहीं हैं. इस समाज में गुंडो और भ्रष्टों की बन आई है, और इन सबका ख्याल रख रहे हैं अपने मुख्यमंत्री.
जो पत्रकार हर बात-बेबात के मुद्दे को हवा में उछाल रहे हैं, क्या वो इस तरफ ध्यान देंगे?
और हां, अगर आपको लगता है कि जिस तरह म.प्र. में इंसानियत को सूली पर चढाया गया वह गलत है, तो जरा शिवराज जी के बॉस को बता देना. lkadavani.in पर आडवाणी जी का दर खुला है. क्या उन तक यह खबर आप पहुंचायेंगे?
और शिवराज भैया, लोकसभा चुनाव तो होने हैं. जनता के ऊपर मूंग दलेंगे तो वहां क्या मुंह दिखाइयेगा?
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