दिल्ली के बाटला कांड के 'बेगुनाह' अब भी जेल में सड़ रहे हैं और उनके सुराग देने पर दिल्ली पुलिस की एटीएस आजमगढ़ जाकर शहजाद को पकड़ लाई. वही शहजाद जिसने कबूल किया कि उसने भी वीर शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा (जिसके परिवार की सुरक्षा दिल्ली सरकार ने वापस ले ली अभी-अभी) पर गोली चलाई थी.
शहजाद को पकड़ने में एटीएस की मदद एक स्थानीय स्कूल के प्रबंधक ने की थी. उसने एटीएस के लोगों को रुकने का स्थान मुहैया कराया और एटीएस को शहजाद के बारे में महत्वपूर्ण सुराग दिये. इनका नाम श्री दिनेश यादव था, जिन्हें अब मार दिया गया है. इस कांड में स्कूल का एक आदमी और भी मारे गये.
सबसे पहले तो नमन उस शहीद दिनेश यादव को जिसने भेड़ियों के शहर में रहते हुये भी देश का साथ न छोड़ा, और फिर धिक्कार उस दिगविजय सिंह को जिसने अभी-अभी आजमगढ़ की यात्रा कर बाटला कार्यवाही पर सवाल उठाने वालों को यह भरोसा दिलाया कि वह जांच मे 'पूरा सच' निकलवायेंगे.
क्या है पूरा सच दिग्विजय सिंह?
- क्या मोहनचंद्र कि हत्या आतंकियों ने नहीं की?
हमें भी बताओ तुम्हें किस चीज़ पर शक है.
दिग्विजय सिंह क्या तुम एक बार और जाओगे आजमगढ़ उस शहीद की अंतिम यात्रा में जिसने देशद्रोही आतंकियों के खिलाफ मुहिम में अपनी जान कुर्बान की? या फिर तुम सत्ता के भूखे भेड़िये की तरह सिर्फ वोट खसोटने के लिये ही यात्रायें करते हो?
अब भी जिन्हें बाटला कांड की सत्यता और श्री मोहन चंद्र शर्मा की शहीदी पर शक हो उन्हें शर्म से डूब मरना चाहिये. लेकिन अगर यह शर्म का मामला होता तो डूब भी मरते, यह तो साफ-साफ देशद्रोहियों की साजिश है.
बिहार में चुनाव होते हैं तो मुम्बई में हाहाकर मचता है, और मुंबई में चुनाव होने होते हैं तो बिहार में रेल स्टेशन जल जाता है. सत्ता हथियाने के लिये जो न करना पड़े वो कम है़.
जब देश जल रहा होगा तब सत्ताधारी उसके हाल पर रोयेंगे या नीरों की तरह चैन से बंसी बजायेंगे?
खबर: नईदुनिया के हवाले से.
सचाई है अगर यह दोस्त तो यही कहूँगा कि अभिशप्त भोथरों के देश में जो भी अनर्थ हो जाय, थोड़ा ही है।
ReplyDeleteV.P. SINGH, Arjun Singh, Amar Singh , Digvijay Singh ..........
ReplyDeleteहिन्दू फिर गुलाम बनने और इस्लाम अपनाने के लिये इन धर्मघातियों और सत्तालोलुपों का शिकार होने जा रहा है. कृपया दिनेश यादव जी के बारे में और बतायें.-भारतीय नागरिक.
ReplyDeleteजिन्हे जूतों से सरेआम पिटना चाहिए वे सत्ता में है. क्या किजे?
ReplyDeleteमाफ करना मैं कुछ लिख नहीं पा रहा यहाँ पे क्योंकि ये सब पढ़ कर दिमाग में जो शब्द और कुछ आ रहा है वो ब्लॉग पे लिख नहीं सकते.. या लिख तो सकते हैं लेकिन तथाकथित सेकुलर वो पढ़ नहीं पाएंगे.. बस समझ लीजिये कि ये ऊपर वाले से मेरी दुआ है कि ऐसे नेताओं और अवसरवादी सेकुलरों के साथ भी यही सब हो.. उन्हें वो हर गंदी गाली लागे जो एक बुरा से बुरा इंसां जानता हो.. उनके पूरे परिवार को वो सब झेलना पड़े जो देखने के बाद एक आदमी के पास अपनी बची खुची इज्ज़त बचाने के लिए आत्महत्या करने के सिवाय और कोई चारा नहीं रहता..
ReplyDeleteब्लॉग्गिंग के लड़ाई झगड़े की पोस्टों पर ६०-६० लोग जाके टिप्पणी देते हैं... यहाँ टिप्पणी देने में सबको अपनी इज्ज़त और जान पर बन आई दिख रही है... धिक्कार है ऐसे हिन्ज़ड़ों के देश पर...
ReplyDeleteजय हिंद...
ऐसा ही होता है दोस्त.. यह भारत है.. यहाँ सब जायज है..
ReplyDelete@ दीपक मशाल जी - यह उसी प्रेमचंद का भारत है जिसने "शतरंज" कहानी भी लिखी थी..
अगर कहा जाये कि दिग्विजय सिंह उन बहादुर युवाओं (यादव द्वय) के नाम बताने ही आजमगढ़ गया था तो क्या यह झूठ होगा? थू है ऐसे 'सेकुलरों' पर ...........
ReplyDeleteशर्म है. यह स्वार्थी सत्तालोलुप हमारी आँखों के सामने हमारे देश को खा रहे हैं.
ReplyDeleteवोट के लालची कोंग्रेसी सेकुलर भेडियो आशा नहीं की जा सकती कि वह किसी देशभक्त का सम्मान करे. उनको तो जेहादियों को बिरयानी खिलाने से ही सत्ता मिलने वाली है. मूर्ख तो हम है जो सेकुलरवाद के नाम पर देशद्रोहियों को झेलते हैं और उनकी पैरवी करनेवाले नेताओं को वोट देते हैं.
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