Monday, February 22, 2010

भारत, प्रधानमंत्री और पहला हक अल्प-संख्यकों का और पाकिस्तान के वो अल्प-संख्यक सिक्ख.

1. हिन्दुस्तानी सरकार के नुमाइंदे अपील कर रहे हैं कनाडा, यूएसए और यूरोप में बैठे सिक्खों से कि वो अपनी सरकारों पर दबाव बनायें कि वह सब मिल कर पाकिस्तान से कहें कि सिक्खों की जानमाल की रक्षा करो.

2. हिन्दुस्तान पाकिस्तान से बातचीत करने को तैयार है. कश्मीर पर भी, क्योंकि उसे विश्वास है कि पाकिस्तान के हर सवाल का उसके पास माकूल जवाब होगा. हिन्दुस्तान पाकिस्तान के हर सवाल का जवाब देगा, लेकिन एक भी सवाल नहीं होगा खुद उसके पास पूछने के लिये. यह भी नहीं कि कश्मीर के लिये आंसू बहाने वाले पाकिस्तानियों, क्या तुमने उन्हें देख रहे हो जो पाकिस्तान में ही मजहब के नाम पर मारे जा रहे हैं?

3. सुप्रीम कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ नॉन बैलेबल वारंट निकाल दिया. तो 1984 से 25 साल बाद अब तो सज्जन कुमार गिरफ्तार हो जायेगा... या इसके लिये भी सिक्ख भाइयों को युरोप और यु-एस-ए में दबाव बनाना होगा?

4. मनमोहन 'सिंह' इतने महान निकले कि सिक्खों की कुर्बानी हंसते-हंसते दे रहे हैं. चाहे वो 1984 हो, या कश्मीर में सिक्खों की बड़े पैमाने पर हत्या, या अब पाकिस्तान, किसी से कुछ नहीं कहा जायेगा.

5. जूता मार कर एक खालसा ने टाइटलर का टिकट काट दिया. सरकार को रास्ते पर लाने के लिये कितने खालसों को जूते उठाने पड़ेंगे? कहां-कहां और किस-किस पर?

6. हिन्दुस्तान में 1411 बाघ हैं. सबको पता है. पाकिस्तान में 'सिंह' कितने है? इनको बचाने के लिये कौन सी कम्पनी बात करने की गुजारिश करेगी?

7. जो अल्पसंख्यक, मानवाधिकार, आदी-आदी वादी भारत के 'चिंताजनक' हालात पर बात करते नहीं थकते, क्यों वो चिंता नहीं करते हमारे उन लोगों कि जो बाहर अल्प-संख्यक हो गये हैं. क्या सिर्फ एक बयान भी इतना महंगा लगता है कि नहीं दिया जाता?

8. गुरु ने कहा था

चिड़ियां नाल मैं बाज लड़ांवा
तां गोबिंद सिंह नांव कहांवा...

और

देह शिवा वर मोहे इहै
शुभ कर्मन ते कबहुं न टरौं
न डरौं अरि सों जब जाय लरौं
निश्चय कर अपनी जीत करौं

तो क्या कमी हो गई हमारे निश्चय में कि जीती नहीं, हर बाजी हारी हमने और मोहताज हुये सहारे का उन्हीं लोगों का जो जिम्मेदार हैं इस शर्म का.

6 comments:

  1. सरकार जब खुद ही अभी तक देश के भीतर २५ सालों में न्याय नही दिला सकी तो बाहर रहने वालों की क्या मदद करेगी..

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  2. अब कोई शोर नहीं मचायेगा अल्पसंख्यकों पर ढ़ाये जा रहे जुल्मोसितम को लेकर. कोई फतवा जारी नहीं करेगा. अब किसी को याद नहीं आयेंगे अल्पसंख्यक. यही है असली धर्मनिरपेक्षता.

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  3. ये तो जी वो क्या है कि बोले तो हाँ, पाकिस्तान का आंतरिक मामला है. हम क्या कर सकते है? इसलिए चुप बैठो.

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  4. अल्पसंख्यक तो केवल मुसलमान और इसाई होते है और वह भी हिन्दुस्तान में.

    ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मारे जा रहें हैं (अधिकांश सिख और हिन्दू) लेकिन सरकार सिर्फ याचना कर रही है.

    मलेशिया में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर जुल्म हो रहे हैं लेकिन सरकार के लिए वह मलेशिया का आतंरिक मामला है.

    बांग्लादेश में हिन्दुओं का क़त्ल, जबरन धर्मपरिवर्तन, उनकी स्त्रियों के साथ बलात्कार हो रहा है लेकिन सरकार अपने इस पिद्दी पडोसी को रस्ते पर लाने कि हिम्मत नहीं रखती.

    पाकिस्तान में हिन्दू और सिखों का कत्लेआम हो रहा है, उनसे "जजिया" की वसूली हो रही है और भारतीय सिख प्रधानमंत्री मैडम के आदेश का इन्तजार कर रहा है...............

    यह है कांग्रेसी और ललमुँही धर्मनिरपेक्षता!!!

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  5. जो अपने देश भारत में पाल पोस कर मुसलिम आतंकवादियों को ताकतबर बना रहे हैं हिन्दूओं-सिखों को भारत में ही मुसलिमों के हाथों मरवा रहे है जो पाकिस्तान से आतंकवादियों को भारत वुला रहे हैं वो भला क्यों पाकिस्तान से बात करेगें हिन्दूओं-सिखों को इन जिहादीयों से बचाने के लिए ।

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  6. 1411 बाघ बचे हैं उनके लिये इतनी हायतौबा… और उधर कश्मीर में जो 1411 कश्मीरी पण्डित बचे हैं उन्हें भगाने के लिये पाकिस्तान भाग चुके आतंकवादियों (सॉरी भटके हुए नौजवानों) को वापस बुलाया जा रहा है…।

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