Sunday, November 30, 2008

विलासराव देशमुख देखने गये थे कि आतंकवादियों ने 200 लोगों को कैसे मारा... और साथ ले गये थे राम गोपाल वर्मा को

vilasrao_deshmukh
यही रोकेंगे आतंकियों का अगला हमला.
हमारे महान मुख्यमंत्री

विलासराव देशमुख महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री है, आतंक के जिन 59 घंटो को आपने और मैंने जिया. मौत और खून की जिन तस्वीरों को देखकर हमारी आंखें पानी नहीं खून से भर उठी थीं उस दर्द को विलासराव देशमुख के दिल ने भी महसूस किया था? अपने राष्ट्र और अपने महाराष्ट्र की यह दुर्गति देखकर उसका खून भी खौला था? 200 लोग मरे, 14 जवान मरे, और कितने ही लोग घायल हुये, मुम्बई वीटी का प्लेटफार्म खून से लाल हो गया, यह देखकर विलासराव का खून गरम हुआ होगा?

घटनाक्रम के खत्म होने के एक दिन बाद विलासराव को मृतकों कि याद आई, तो आया वो अपने जिम्मेदारी निभाने. देखने कि किस तरह अपने देश के दुश्मनों ने देशवासियों की हत्या की... और साथ लेकर आया अपने एडवाइज़रों की टीम? वो लोग जो यह देखते और विलासराव कि मदद करते यह सब रोकने में?

यह है विलासराव की संवेदना देश और मृतकों के प्रति

विलासराव देशमुख लेकर आया रामगोपाल वर्मा को
विलासराव देशमुख लेकर आया रितेश देशमुख को

तो अब सुनिये विलासराव की कृपा से रामू की अगली फिल्म के बारे में

रामगोपाल की छब्बीस-ग्यारह!

रितेश देशमुख - संदीप उन्नीकृष्णन के रोल में.

विलासराव देशमुख के पीछे सुरक्षा सलाहकार नहीं राम गोपाल चल रहा था.

विलासराव देशमुख को देश की नहीं, राम गोपाल की अगली फिल्म की चिंता थी

विलासराव देशमुख को देश को नहीं, रितेश देशमुख को आगे बढ़ाना है?

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क्यों रोये हम और आप वो तीन दिन. क्यों हम तड़पे देश के लिये. विलासराव देशमुख को तो यह चिंता थी कि रामगोपाल वर्मा की अगली फिल्म की गोटी फिट हो सके और रितेश देशमुख के लिये धंधा बना पायें.

यह है महाराष्ट्र के मुखिया.
यह है वो आदमी जिसे हमने चुन के भेजा था कि हमारा भला करो, हमारा ख्याल रखो.

अब मत करो इस देश की चिंता, क्योंकि उसका कोई फायदा नहीं. देश को हमने पहले ही कुत्तों के हवाले कर दिया.

5 comments:

  1. कुत्ते तो मुर्दा इंसानी जिस्मों को नहीं भंभोडते

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  2. जब हम लोग खुद ही अपने हितों का ध्यान नहीं रखते तो क्या किया जाये, मुस्लिम उसी को वोट देता है जो उस के हितों का ख्याल रखता है, लेकिन हिन्दुओं की अक्ल घास चरने गयी है तो ऐसे ही होता रहेगा.

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  3. एक अंतर्राष्ट्रीय खबर और भी है कि आतंकियों ने इटली और सऊदी अरब के पासपोर्ट देखकर उन लोगों को छोड़ दिया था… एक और ब्रेकिंग न्यूज मेरी तरफ़ से लीजिये कि लोकसभा का चुनाव जीतने के लिये कांग्रेस अब पाकिस्तान पर हमला करने जा रही है… कांग्रेस जितनी गिरी हुई पार्टी और कोई हो नहीं सकती, ये बात पहले भी मैं एक पोस्ट में तथ्यों और तर्कों के साथ बता चुका हूं…

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  4. कहते है की इतिहास हमेशा अपने आप को दोहराता है.जब मोहम्मद गौरी/महमूद गजनबी जैसे आक्रमणकारियों का ये देश कुछ नहीं बिगाड पाया, जो कि सत्रह-सत्रह बार इस देश को मलियामेट करके चलते बने, तो ये लोग अब क्या उखाड लेंगे.
    वैसे भी ये बापू का देश है(भगत सिहं का नाम किसी साले की जुबान पे नहीं आयेगा). अहिंसा परमो धर्म:

    अब और क्या कहें, सरकार चाहे अटल बिहारी वाजपेयी की हो या मनमोहन सिंह की, आतंकवाद हमारी नियति है। ये तो केवल भूमिका बन रही है, हम पर और बड़ी विपत्तियां आने वाली हैं।क्यूं कि 2020 तक महाशक्ति बनने का सपना देख रहे इस देश की हुकूमत चंद कायर और सत्तालोलुप नपुंसक कर रहे हैं।

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  5. काश अफ़जल गिलानी संसद उडा ही देते .
    हम कब जगेगे कब कहेगे
    "वाहे गुरूजी दा खालसा, वाहे गुरूजी दी फ़तह"
    अब हमे भी गुरू का सिंक्ख बन हाथ मे तलवार उठानी ही होगी तभी इन गीदडो से पार पाया जा सकेगा .

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