Friday, February 6, 2009

जय हिन्दू संस्कृती! हमने यही सीखा है कि मारें महिलाओं को

screamवाह रे गजब हिन्दू संस्कृति सनातन धर्म की सनातन प्रथा को ही पूज रहे हैं श्रीराम सेनी और बजरंगी. पहले श्री राम चन्द्र की सेना वालों ने जय श्री राम! के नारे लगाकर पब रूपी लंका पर आरोहण कर दिया और क्या तीर मारा? नारियों को रगेद-रगेद के मारा.. वाह रे श्रीरामियों खूब सेना बनाई रे तुमने... बहुत सही प्रेक्टिस रन है... पहले औरतों को पीट कर अभ्यास हो जाये तो पाकिस्तान पर भी हमला करेंगे... सही प्रोग्रेस है भाई.

राम की सेना ने कूच कर दिया तो बजरंगी कहां पीछे रहते वो भी निकल पड़े आखेट पर, एक लड़की को बस से उठा लिया और पीट लिया, अब अपन हिन्दू धर्म की रक्षा लड़कियों को पीट कर ही होगी?

क्या यही सीखा है श्रीराम सेना वालों ने राम कथा से?
राम से जिसने अपनी विमाता को दिये वचन को निभाने के लिये 14 साल वन में काटे?

क्या बजरंग का नाम लेने वाले उसी महाबली का धर्म निभा रहे हैं?
जिसने अकेले दुश्मन देश में घुसकर उनसे लोहा लिया और जिसने ताजिंदगी हर नारी को मां का दर्जा दिया?

यह श्रीराम और बजरंग का नाम बदनाम करने वाले यह गर्दभ-बुद्धी लोग तो उन से भी ज्यादा हिन्दू धर्म की मूल अवधारणा को नुक्सान पहुंचा रहे हैं जो इसे दिन-रात गरियाते हैं.

-- हिन्दू धर्म की अवधारणा में सबसे बड़ी बात है स्वतंत्रता. हम चाहे किसी देव, किसी रूप को पूजें-मानें, तब भी हिन्दू रहेंगे. मतलब चाहे हम मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम के भक्त हों, या कापालिक काल-भैरव के, हम हिन्दु हैं और धर्म की हानी नहीं.

-- देवी चंडिका पर तो शराब की भेंट भी चढ़ती है, तो किस तरह किसी भी औरत के शराब पीने से हिन्दु धर्म या सभ्यता की हानि हुई?

असल में हिन्दू धर्म में नारी को पुरुष से कम दर्जा नहीं दिया गया. हमारे ग्रन्थों में नारियां हर वो काम करती हैं जो पुरुष करते हैं, और ससम्मान, बिना ग्लानी करती हैं. ऐसे धर्म को मानने की बात करने वाले यह गलीज़ हरकत किस तरह कर पाये?

असल में इसमें भी हिन्दुओं की कमजोरीयों का इतिहास छुपा है. आक्रांताओं से अपने घर-परिवार की रक्षा न कर पाने वाले कायरों ने वह सारे नियम बनाये जिनसे स्त्रियों को पर्दे में, छुपा कर, सबसे नजर बचाकर रखें, और उनकी कायरता का बोझ अब तक हम ढो रहे हैं.

अगर श्रीराम सेना और बजरंगी सत्य में राम व महाबली हनुमान के अनुयायी होते तो लोहा लेते शराब बनाने वालों से, उसके स्टाकिस्टों से, शराब बेचने वालों से, पब मालिकों से, व पब में पीने वाले मर्दों से (जिनका अनुपात नारियों कि तुलना में 1:100 है)

और जिन्होंने उन लड़कियों पर हमला किया, उनका क्या कहना... वो तो पुरुष ही नहीं... महा@#$% हैं...

(थोड़ा नहीं, बहुत नाराज़ हूं... यह देख कर शर्म आती है कि हमने किस पथ पर चलना शुरु कर दिया. किससे सीख रहे हैं हम? उनसे जिन्हें हम कहते हैं यह गलत है ऐसा मत करो?)

6 comments:

  1. अगर उन्होंने संस्कृति से कुछ सीखा होता ...और एक सही इंसान बन पाये होते ...उन्हें तमीज होती तो ये दिन क्यों देखने पड़ते ..

    अनिल कान्त
    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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  2. बहुत सही कहा......गलत करो तो कम से कम सर झुकाकर करो.....यूं संस्‍कृति को बदनाम करते हुए तो न करो।

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  3. इससे सहमत कि इस तरह हिन्दू अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं. इससे असहमत कि देवी को शराब चढाई जाती है तो क्या हर घर में हर देवी को पिलाया जाना शुरू कर देना चाहिये.

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  4. एकदम सही कहा आपने। संस्कृति की सुरक्षा करने की जिन्होंने जिम्मेदारी ली है, वही सर्वाधिक असंस्कृत हैं।

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  5. कॉमन मैन जी,

    मेरा यह कहना बिल्कुल नहीं कि घर की देवियों को सुरापान के लिये प्रेरित किया जाये, या घर के किसी भी व्यक्ति को सुरापान करने से मना न किया जाये.

    शराब के सेवन के खिलाफ मुहिम सही है, लेकिन इसके नाम पर औरतों कि प्रताड़ना गलत है. ये क्युंकर कि उन्होंने शराब पीने कि स्वतंत्रता पुरुषों को दी, लेकिन औरतों को नहीं.

    वैसे सच्चाई तो यह है कि पुरुषों को भी पब में जाकर पीटना गलत है. सही होगा शराब उत्पादकों और पब मालिकों के खिलाफ मोर्चा खोलना. और जो लोग पब में जाकर महिलाओं को मारने का हौसला रखते हैं. वो इतना तो कर ही सकते हैं कि बंगलौर में ही United Breweries कि फैक्ट्री और आफिसों के सामने एक प्रदर्शन कर दें.

    क्या यह गलत होगा, यह वह?

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  6. यदि ये महिला के पीटने वाली बात सत्य है तो मैं आपकी इस बात से तो सहमत हूँ उन नासमझो के विरुद्ध किन्तु चंडी पर शराब चढाना हमारे धर्म और शास्त्रों से विपरीत है ये काम मुर्ख बुद्दिहीन वाम मर्गियों का है और इस से हिन्दू सनातन धर्म का को लेना देना नहीं है. न ही हमें धर्म में नारी को झुकाने की प्रथा है बल्कि इतना सम्मान दुनिया में कहीं और नहीं मिलता वो बात अलग है आजकल लोग हिन्दू शास्त्रों का कुप्रचार करके अपने स्वार्थ के लिए ओरतो को दबाते हैं और उन पर जबरदस्ती कपोल कल्पित अपनी गलत अवधारणाएं थोपते हैं किन्तु इसमें धर्म का हाथ कहीं नहीं है और न ये कमजोर धर्मं है कमजोर हैं तो आज के भारतीय लोग. धर्म कभी अन्याय नहीं सिखाता वो अन्याय के विरुद्ध युद्ध की घोषणा करता है.

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