1. हिन्दू शब्द कितना पुराना है?
इसकी जवाब जरूरी नहीं क्योंकि हिन्दू शब्द दूसरों द्वारा दिया गया है और हिन्दू संस्कृति से पुराना नहीं है. हिन्दूओं को क्योंकि बदलाव से परहेज नहीं, इसलिये अब वह उनकी पहचान है.
वैसे तो अल्लाह शब्द भी दूसरों का दिया हुआ है. मुहम्मद ने मूर्तिपूजक अरबों के कई भगवानों में से अल्लाह का नाम अपने ईश्वर को नाम देने के लिये किया. अल्लाह उनके ब्रह्मा के समान था (http://en.wikipedia.org/wiki/Allah).
1. अल्लाह शब्द कितना पुराना है?
2 क्या इस शब्द का अर्थ घृणित है?
शब्द का मतलब वही होता है जिसके लिए उसका इस्तेमाल किया जाता है. हिन्दू शब्द हिन्दुस्तानियों की पहचान है, और इसका अर्थ वही है. अगर अनर्थ निकालने कि जिद हो तो शब्द कई मिल जाते हैं.
2. ईस्लाम में ईश्वर के लिये जो शब्द है उसका अमेरिकि सैनिक किस मंतव्य में प्रयोग करते हैं?
3. यह शब्द किसी देशी ग्रन्थ का है?
बेशक इससे हिन्दओं को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि इतना सद्भाव और खुलापन उनमें आ चुका है कि वह हर बात का प्रमाण किसी ग्रंथ में खोजना जरूरी नहीं समझते.
3. अल्लाह शब्द की उत्पत्ति किसने की?
4. या विदेशियों का बख्शा हुआ है?
बख्शा तो खैर क्या होगा? वैसे बख्शा तो बहुत कुछ गया था. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद एक बहुत बड़ी रियासत बख्शी थी कुछ लालची अरबों ने एक गोरी विदेशी कौम के साथ मिलकर.
4. उस बख्शी गई रियासत का नाम क्या है.
5. हिन्दू शब्द का शब्दकोष में अर्थ क्या है?
कृपया न. 2 देखें.
5. सारी पश्चिमी सभ्यता के शब्दकोष में इस्लाम का अर्थ क्या है?
6. क्या किसी हिन्दू विद्वान ने इस नाम पर आपत्ति की है?
हिन्दूओं को धर्मान्धों कि आपत्ति से कोई फर्क नहीं पड़ता. किसी 'विद्वान' की फतवागिरी यहां नहीं चलती इसलिये आपत्ति कि बात हो न हो उसका कोई मतलब नहीं है.
6. उस कुरान के ज्ञानी विद्वान का नाम क्या है जिसका कलाम इतना सनसनीखेज है?
7. हिन्दुत्व क्या है?
हिन्दुत्व एक संस्कृति है, एक जीवनशैली है, एक पहचान है, एक विचार है, और भारत को जोड़ने वाला सबसे मजबूत सूत्र है. यह धर्म से आगे है,
7. एक खास धर्म में ऐसा क्या है जो उसको मानने वाले लोग इस कदर दीवाने हुये जाते हैं की इन्सान को इन्सान नहीं समझते?
8. इस शब्द को कब गढ़ा गया?
यह भी महत्वपूर्ण नहीं क्योंकि यह संस्कृति इसको दिये गये हर नाम से पुरानी है.
8. इस्लाम को पैगंबर ने कब अपनाया? इससे पहले वह किस धर्म को मानते थे?
9. इसकी परिभाषा क्या है?
एक ही सवाल बार-बार चोला बदल कर पूछा जाये तो क्या पूछने वाले के दिमागी संतुलन पर सवाल उठाया जा सकता है?
9. पूछने वाले को यह बेबात जिद क्यों है?
10. हिन्दुववादी के लक्षण और कार्य
हिन्दुव बहुत विशाल है. इसका कोई धार्मिक लक्षण नहीं. हिन्दुत्व अपने अन्दर सनातन धर्म, आर्यसमाज, बुद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, नास्तिकता और अगर चाहें तो इस्लाम और ईसाइयत को भी अपनाने की शक्ति रखता है. जो विशाल हृदय मानवता के लक्षण हैं वहीं हिन्दुत्व के लक्षण हैं.
10. क्या इन लक्षणों का अनुकरण करने के बारे में कभी सोचा है, या सिर्फ एक खास किताब में लिखे लक्षणों से ही इन्सान परिभाषित होता है?
11. क्या हिन्दुत्व किसी इश्वरीय ग्रन्थ पर आधारित है?
जब हिन्दुत्व धर्म के दायरे में नहीं आता तो उसके किसी ग्रन्थ पर आधारित होने का सवाल नहीं है. हां बहुत सारे ग्रन्थ हिन्दुत्व पर आधारित हैं. इनमें से कुछ सही हैं और कुछ गलत. यहां तक की हर ग्रन्थ में सही या गलत बातें मौजूद हो सकती हैं और हिन्दुत्व इस बात को स्वीकारता है और इन्हें सुधारता है.
11. क्या एक खास धर्म में लिखी किताब को अक्षरश: सही मान लेना बेवकूफाना नहीं है?
12. क्या हिन्दुत्व के सिद्धान्तो पर दुनिया में समाज है?
इस सवाल का जवाब सवाल से ही
12. जिन्हें भारतवर्ष दुनिया की सबसे पुराने सभ्यता (इस्लाम से भी पुरानी) नहीं दिखती उन्हें चश्मा बदलना चाहिये या नहीं?
13. इस नंबर का सवाल नहीं है.. क्या किसी खास धर्म में इस नंबर का प्रयोग वर्जित है? अगरा हां तो जरा वैज्ञानिक आधार बतायें.
14. महिलाओं के उत्थान के लिये हिन्दुत्व ने क्या किया?
800 साल के कुशासन और दमन के दौरान जो कमजोरियां हिन्दुत्व में आईं उन्हें लगातार दूर किया. पर्दा प्रथा हिन्दुओं में खत्म प्राय है. और इसी समाज की स्त्रियां एक खास धर्म की स्त्रियों से ज्यादा मुक्त, शिक्षित हैं. इसलिये अगर प्रतिशत में देखा जाये तो हिन्दू स्त्रियों की उपस्थिति सरकारी नौकरियों, प्राइवेट नौकरियों, बिजनेस में कहीं ज्यादा है. आज हिन्दू नारिया अपने हक के लिये पुरुषों की मोहताज नहीं है.
14. एक दूसरे धर्म में नारियों को अब तक कैद रखने की जिद क्यों है?
15. क्या हिन्दुत्व एक विश्वव्यापी अवधारणा है?
क्योंकि हिन्दुत्व की कुचेष्टा दूसरे धर्म के लोगों को बलात, या लालच देकर अपना धर्म बदलने की नहीं रही इसलिये इस धर्म के लोग धर्म परिवर्तन नहीं करते. वरन हिन्दू हर धर्म को अपना लेते हैं इसलिये हिन्दू घरों में गुरु नानक भी मिलेंगे, बुद्ध भी और जीसस भी.
15. क्या कोई दूसरा धर्म है ऐसा उदार?
16. या फिर क्षेत्रिय
जवाब 15 देखें.
16. एक दूसरे धर्म से अभी-अभी कौन सा क्षेत्र छीन कर एक तीसरे धर्म वालों ने कब्जा किया. नाम बतायें.
17. जो लोग हिन्दुत्व को नहीं मानते क्या हिन्दुत्व वादी उन्हें हीन समझते हैं?
हो सकता है कि पि़छली सदी में यह किसी हद तक सत्य हो लेकिन आज के दिन में कम से कम में यह बिना संशय के साथ कह सकता है कि हिन्दुत्व को मानने वाले सारी दुनिया के साथ कंधा मिलाकर चलते हैं न ऊपर न नीचे. हम हिन्दू सबकी तरह इन्सान है कोई और नस्ल नहीं.
17. क्यों एक खास धर्म को मानने वाले हमेशा अपने धर्म को ऊपर दिखलाने की जिद करते हैं? उनमें कौन से लाल लगे हैं?
18. हिन्दुत्व ने समरस और समानता के सिद्धान्त इस्लाम से लिये?
नहीं यह सिद्धान्त इन्सानियत से लिये. इस्लाम से इतर बिना धार्मिक सोच रखने वालों ने इन सिद्धांतों को जन्म दिया. इसका क्रेडिट लोकतांत्रिक मूल्यों के जनकों और एक हद तक मार्कसवादी मूल्यों के जनकों को जाना चाहिये न कि किसी धर्म को
18. क्यों एक खास धर्म के लिये सिर्फ वही बराबर हैं जो उस धर्म को मानते हैं और बाकी सब हेय?
19. यदि नहीं लिया तो किस वर्णवादी ग्रन्थ से लिये.
दूसरे धर्मों की तरह हिन्दु धर्म नयी सोच के लिये अपने ग्रन्थों का मोहताज नहीं. हम खुद भी सोच लेते हैं.
19. एक खास धर्म में हर व्याख्या किसी एक किताब के संदर्भ में ही क्यों करनी पड़ती है? क्या उनके पास खुद का दिमाग है?
20. वह वर्ण व्यवस्था की वापसी चाहता है या सफाया?
निश्चित ही सफाया. आज का हिन्दू पहले के हिन्दू के मुकाबले कम वर्णवादी है, और आगे और कम होगा. हम अच्छी शिक्षा से यह संभव बना रहे हैं. हम तो बदलेंगे ही.
20. क्यों एक खास धर्म बाकी सारे धर्मों का सफाया चाहता है?
21. तथाकथित वैदिक काल में शूद्रों आदी पर अत्याचार निंदनीय है?
बिलकुल है, किसी भी इन्सान या फिर जीवित जानवर पर अमानवीय अत्याचार निंदनीय है और हिन्दूत्व को जानने वाले यह कहते, मानते, करते हैं.
21. क्यों धीरे-धीरे गला रेत कर दर्दनाक मौत मारने को सबाब का काम समझा जाता है?
22. या प्रशंसनीय?
यह उसी सवाल का बेबात का एक्सटेंशन है. नहीं यह प्रशंसनीय भी नहीं है.
22. क्यों धीरे-धीरे गला रेत कर दर्दनाक मौत मारने को कुर्बानी कहकर प्रशंसा की जाती है?
23. पैगंबर हजरत... के अनुयायियों के द्वारा अविष्कृत सामान का लाभ हिन्दू उठाते हैं?
हिन्दूत्व को मानने वाले लोग धार्मिकता के कारण अंधाये नहीं है कि वो इन्सान और इन्सान के असबाब में धर्म के नाम पर फर्क करें. हिन्दुओं के भी बहुत सारे आविष्कार पैगंबर हजरत... के मानने वाले उपयोग करते रहे जैसे शून्य, गणित विद्या आदी. आज भी हिन्दू आविष्कारक और इन्जीनियर हिन्दुस्तान और उससे बाहर बहुत से ऐसे नये आविष्कार कर रहे हैं जिसका उपयोग पैंगबर हजरत... के मानने वाले करते हैं. यहां कि कम्पयुटर के आविष्कार में भी एक हिन्दू ने रोल निभाया (विनोद धाम)
23. क्या इस खास धर्म को मानने वाले दूसरे धर्मों के आविष्कारकों के द्वारा बनाये उपकरणों का उपयोग नहीं करते? आपको पता है कि अनिस्थिसिया का आविष्कार एक यहूदी ने किया, आइंस्टाइन यहूदी था, मानव खून की ग्रुपिंग यहूदी ने की, यहां तक की आज इस्लामिक देशों की पहली चाहत एटम बम का आविष्कार भी यहूदियों ने किया. यहुदियों ने ज्यादा आविष्कार किये या एक खास धर्म के मानने वालों ने? सूची तैयार करें.
24. या फिर उनके उन्मूलन की चिन्ता में घुलते हैं?
हिन्दुओं ने कभी उनका उन्मूलन नहीं चाहा. हिन्दूत्व को मानने वाले न धर्म परिवर्तन करते हैं न धार्मिकता कि यह अन्धी जिद फैला रहे हैं जिसमें उन्हें धर्म के आगे कुछ दिखाई न दे. वह चितिंत हैं तो अपनी पहचान और जीवनशैली की रक्षा के लिये.
24. जब भी एक खास धर्म का शासन रहा तो उनके शासन में हिन्दुओं का लोप और उन्मूलन क्यों हुआ?
25. ग्राहम स्टेन्स को जिन्दा... अपराध मानते हैं?
किसी की भी हत्या अपराध है और यह हर हिन्दू मानता है दोषी पर कार्यवाही के लिये कानून का उपयोग होना चाहिये जो ग्राहम स्टेन्स के हत्यारे पर हुआ और हिन्दुओं ने ही समर्थन किया.
25. क्यों एक खास धर्म में यह जिद है कि दूसरे धर्म वाले को मारना अपराध नहीं. या फिर उसके मानने वाले कहते हैं कि उनके धर्म को छोड़ने वाले को मारना अपराध नहीं?
26. या फिर अपना आदर्श और हीरो़?
हमारा आदर्श वो कातिल नहीं. हमारा आदर्श है डा. भाभा (एक पारसी), एपीजे कलाम (मुसलमान) और हर वह इन्सान हिन्दू या दूसरे धर्म का जो इन्सानियत पर भरोसा करता है.
26. 5000 लोगों को एक झटके में मारने वाला क्यों एक खास धर्म का हीरो है?
27. महात्मा गांधी के हत्यारे कि सराहना या निन्दा?
निश्चय ही निन्दा. महात्मा गांधी का सम्मान हिन्दुओं के भरोसे ही है वरना आजादी में उनका योगदान का कितना वर्णन हिन्दुस्तान से ही कटे पाकिस्तान और बांग्लादेश में मिलता है वह सर्वविदित है.
27. क्या आप 5000 लोगों के हत्यारे की निन्दा पर एक निब्ंध लिखोगे या यह लिखोगे कि हर मुस्लिम को वैसा बनना चाहिये? (जैसा लिख चुके हैं)
28. हनुमान जी को वे जीवित मानते हैं या मृत?
हनुमान जी को हिन्दू ईश्वर का अंश मानते हैं.
28. इश्वर है या नहीं?
29. मीर बाकी द्वारा हनुमान जी का मंदिर गिराया उचित या नहीं?
बिलकुल अनुचित आपको संशय?
29. गुस्साये हिन्दू भीड़ के द्वारा मस्जित गिराया जाना उचित या अनुचित?
30. हनुमान जी ने मंदिर बचाना जरूरी क्यों नहीं समझा?
ठीक उसी लिये जिस तरह अल्लाह ने अपने जिन्नात/फरिश्ते आदी भेजकर मस्जिद बचाना नहीं समझा.
30. मस्जिद को बचाना अल्लाह या उसके फरिश्तों ने जरूरी क्यों नहीं समझा? सद्दाम हुसैन को बचाना? अफगानिस्तान को बचाना? इराक को बचाना? फिलिस्तीन को बचाना? पाकिस्तान को खुद से ही बचाना?
कुछ सवालों का जवाब जरूरी नहीं होता. जिनमें हिम्मत होती है वह ही दे पाते हैं. हम तो अपनी शक्तियां भी जानते है और कमजोरियां भी और दोनों की ही बात करते हैं.
वैसे मुझे अनिश्वरवाद प्रिय है और हिन्दूत्व में इसकी भी जगह है इसलिये मुझे यह सबसे प्रिय विचार है. इसलिये मुझे यह कहलाने से परहेज नहीं.
Look at this:
ReplyDelete7:54. Your Guardian-Lord is Allah, Who created the heavens and the earth in six days, and is firmly established on the throne (of authority): He draweth the night as a veil o`er the day, each seeking the other in rapid succession: He created the sun, the moon, and the stars, (all) governed by laws under His command. Is it not His to create and to govern? Blessed be Allah, the Cherisher and Sustainer of the worlds!
41:9. Say: Is it that ye deny Him Who created the earth in two Days? And do ye join equals with Him? He is the Lord of (all) the Worlds.
41:10. He set on the (earth), mountains standing firm, high above it, and bestowed blessings on the earth, and measure therein all things to give them nourishment in due proportion, in four Days, in accordance with (the needs of) those who seek (Sustenance).
41:12. So He completed them as seven firmaments in two Days, and He assigned to each heaven its duty and command. And We adorned the lower heaven with lights, and (provided it) with guard. Such is the Decree of (Him) the Exalted in Might, Full of Knowledge.
Now add em up... 2+4+2=8 days.... Ha Ha Ha Ha Ha...
बहुत बढ़िया. शायद अब स्वच्छ और प्रचारकों के लिये जबाव मिल गया होगा..
ReplyDeleteKamal kal lekh hai, maja aa gaya . lekin kya un kattarpanthiyon ne ise padha . shayad hann magar himmat nahi hui jabab dene ki.
ReplyDeleteI am tired of this love and hate game. However the article is really very good.
ReplyDeleteसब मान्यवरों कि टिप्पणियों का शुक्रिया. मेरा मंतव्य किसी धर्म विशेष का मखौल उड़ाना नहीं, वैसे तो मुझे सभी धर्म नापसंद हैं. न ही यह love-and-hate का खेल है जिसे मैं खेल रहा हूं. यह तो एक निष्पाप चेष्टा है कुछ सवालों का जवाब तलाशने की, और वैसे ही कुछ नये सवाल खड़े करने की ताकी कम-से-कम यह तो पता चल सके कि इन सवालों में कितनी शैतानियत छुपी है.
ReplyDeleteअसलियत में contradictions सभी धर्मों में हैं, लेकिन उन्हें मिटाने के लिये पहली सीढ़ी है उन्हें पहचानना. हिन्दू धर्म के प्रति मुझे जवाबदारी महसूस होती है क्योंकि में इसमें जन्मा हूं और इसको अपनी पहचान भी कहता हूं. इसलिये ब्लाग पर बाद में लेकिन असली जिन्दगी में पहले मैं उन contradictions को पहचानने और हटाने की कोशिश कर रहा हूं.
मुझे धर्म के बारे में बुरा सुनकर दुख नहीं होता, लेकिन एक धर्म को बुरा कहकर दूसरे को बढ़ाने की कोशिश देखकर दुख होता है. बेहतर हो कि जो धर्म में दिक्कतें ढूंढ़ते हैं वो इसका विकल्प इंसानियत को बनायें न कि ऐसे ही किसी और धर्म को.
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ReplyDelete.
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प्रिय विश्व,
बहुत अच्छा लिखा है, तार्किक लिखा है और धारदार लिखा है... पसंद आया।
जानकर अच्छा लगा कि अनीश्वरवाद आपका सबसे प्रिय विचार है।
अनीश्वरवाद पर कुछ आलेख मैंने भी लिखे हैं, कभी समय मिले तो देखियेगा।
आभार!
अच्छा लिखा है विश्व आपने
ReplyDeleteभाई साहब बहुत तर्क पूर्वक लिखा है। मैने आपके जवाब कठमुल्ले अनवर जमाल की पोस्ट पर भी चिपका दिये है उम्मीद है आप बुरा नहीं मानेंगे।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने. अगर किसी को जिज्ञासा है तो उसका समाधान किया जा सकता है लेकिन शायद ये प्रश्न आपने जिस ब्लॉग से लिए है (शायद इसलिए क्योंकि मैंने एक बार के बाद इस तरह के ब्लॉग पर जाना बंद कर दिया है) वहां के प्रश्नों में मुझे जिज्ञासा नहीं बल्कि दुसरे धर्म की बेइज्जती करने की बू आती है. वो अपने धर्म को शायद महान बतलाना इसलिए जरुरी समझते है क्योंकि उस धर्म (के तथाकथित ठेकेदारों) ने आज पुरे विश्व में बवाल मचा रखा है और सब देश चाहे वो रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, भारत हो या उनका अपना पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक, साउदी अरब के लोगो का चैन से जीना हरम कर रखा है.
ReplyDeleteएक आवश्यक प्रश्नोत्तर-प्रश्नमाला :)
ReplyDeleteवह लेख बस उन्माद भड़काने और उसके बाद कीचड़ में छापक छैया खेलने के लिए लिखा गया था। कठमुल्ले बला के निर्लज्ज होते हैं, फिर कुछ लिखेगा - आप कब तक ?
देखिए ब्लॉग जगत से यह सीख गाँठ बाँध लीजिए - इस्लाम कभी नहीं सुधरेगा, कभी नहीं बदलेगा। अब उसके साथ कैसे निपटा जाय, यह सोचना है। उदारवादी लोकतांत्रिक मूल्यों का एडवांटेज ले कर इस्लाम ने पूरे विश्व में नंगई और हिंसा फैला रखी है। समय आ गया है कि पूरे विश्व को इनके लिए अलग से उपाय करने चाहिए।
गिरिजेश राव जी की बात से पूरी तरह सहमत ! सीधी सी बात है की जिस धर्म के अनुयाई इस कदर गिरी हुई सोच के, इस कदर गिरी हरकतों वाले होंगे, वह धर्म भला सर्वोतम कैसे ? सर्वोतम चीज को किसी के प्रमाणपत्र की जरुरत नहीं होती, न ही उसके अनुयायियों को बार बार यह जतलाने की जरुरत पड़ती है कि हमारा धर्म ही महान है ! दुनिया उन पर उनकी करतूतों की वजह से आज थूक रही हो और वे कहे जा रहे हो कि हमारा धर्म श्रेष्ठ है ! सच्चाई नजर नहीं आती क्या ?
ReplyDeleteइस देश में दुनिया के सबसे ज्यादा मुसलमान रहते है फिर भी अल्पसंख्यक का पूरा लुफ्त उठा रहे है, देश को तोड़ डालने के बावजूद भी ! यहाँ देख लो, गिनकर पांच-साथ ब्लोगरों ने पूरे ब्लॉगजगत पर आतंक फैला रखा है ! और हमारे हिन्दू ब्लोगर इनकी एक-आद मीठी बातों से ही पिघल जाते है ! जागो हिन्दुओं जागो, अभी भी वक्त है ! जैसा कि मैंने पहले भी कहा ये चाहे बुद्धिजीवी हो या फिर अनपढ़ गवार इनके ज्यादातर की सोच हुसैन जैसी ही विकृत है ! इनका एक ब्लोगर सलीम अख्तर सिद्दकी मेरी इन बातों के चलते मुझे तो तुच्छ सोच का बता कर अपनी जमात के समक्ष खडा कर गया, मगर जब इनके ये हकीम और बैध यहाँ न सिर्फ दुसरे के धर्म बल्कि उनकी महिलाओं पर सीधे अश्लील बाते लिख रहे है तब ये गिरी सोच के लोग गायब हो जाते है, या फिर आयेंगे भी तो सीधे- विरोध करने की बजाये दिखावे के लिए एक-आध शेर बजा फरमाते चले जाते है !
गिरिजेश जी और गोदियाल साहब से सहमत. महफूज जी और फौजिया जी तथा एक दो नाम और हैं जो सही को सही और गलत को गलत लिखने का साहस करते हैं वरना बाकी सब एक ही राग अलापते हैं. फिर चाहे वह सिद्दीकी हों या बरनी या फिर कोई और.
ReplyDeleteExcellent post!
ReplyDeleteBravo!
भावनाओं को आंदोलित करने वाला लेख!
ReplyDeleteअन्त तक पहुंचते-पहुँचते भावनाए आँखों के रास्ते कई बार बहार
आने को आतुर हुई!
बिलकुल उचित व् न्य्यायिक उत्तर!
कुंवर जी
फूलहिं फलहिं न बेत जदपि गरल बरसहिं सुधा।
ReplyDeleteमूरख हृदय न चेत जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम॥
धर्म के बारे में सबसे अच्छा तर्क है.......मौन...मौन,,,मौन...
ReplyDeleteयह एकदम ..व्यक्तिगत होता है...
जैसे ही आप मौन से अलग हो जाते हैं...आप अ-धार्मिक होने लगते हैं......
लडड बोलता है...इंजीनियर के दिल से...
http://laddoospeaks.blogspot.com
:)
ReplyDeletevichaarporna evam pathneey aalekh.......
ReplyDeletepadh kar achha laga
shukriya !
बेहद सटीक आलेख...लेकिन कोई नहीं आयेगा तर्क-वितर्क करने और न ही इन लोगों के पास किसी भी सवाल का जवाब है...बस, सिर्फ अपने ब्लाग पर बैठे ब्लां ब्लां करते रहेंगें!
ReplyDelete