Sunday, November 30, 2008

मुम्बई के आतंकी हमलों में असल में कितने मरे? 200, या 1000?

सरकारी की बात मानें तो मुम्बई आतंकवादी कार्यवाही में मारे गये लोगों का ब्यौरा कुछ यूं है.

सी एस टी – 55 लोग मरे
ताज – 22 मरे
ओबेरॉय – 30 मरे
टैक्सी विले पार्ले – 4 लोग
पुलिस और सुरक्षाबल – 20 लोग

सरकार ने आतंकी कार्यवाही की लगभग शुरुआत से ही 150-180 के आंकड़े के आस-पास मरे लोगों की संख्या बतलाई है. लेकिन यह संख्या विश्वास योग्य नहीं है. क्योंकि अगर आतंकी कार्यवाही के स्तर का हिसाब लगाया जाये, और सभी कारकों पर ध्यान दिया जाये तो मरने वालों की संख्या इससे कुछ नहीं, बहुत ज्यादा बननी चाहिये.

बुधवार से लेकर अब तक सरकारी आंकड़े 172 पर ही अटके हैं, जबकी मरने वाले विदेशियों की संख्या 18 से 22 हो गई. क्या हिन्दुस्तानियों की संख्या इसी रेशियो में नहीं बढ़ी होगी (अगर सरकारी आंकड़े सही भी हैं तो)

मुझे लगता है कि चुनाव के साल में सरकार को चिंता है कि अगर मरने वालों की सच्ची संख्या ज्ञात हो, तो देशवासियों का गुस्सा और भी भड़केगा, और खामियाजा बहुत महंगा पड़ेगा. शायद इसी के चलते एक बहुत बड़ा कवर-अप आपरेशन चल रहा है जिससे की मरने वालों की सही संख्या का हिसाब न लगाया जा सके.

आपके लिये कुछ आंकड़े प्रस्तुत हैं: -

  1. ताज में कमरों की संख्या – 539
  2. ओबेराय में कमरों की संख्या – 327
  3. ट्राइडेंट में कमरों की संख्या – 541
  4. नरिमन हाउस में मंजिलों की संख्या – 5
  5. लियोपोल्ड कैफे में सीटें – 60

ताज में इसके अलावा कई और रेस्त्रां और मीटिंग रूम्स हैं. हमले के समय पर ताज में एक शादी भी चल रही थी जहां जाकर आतंकवादियों ने गोलियां चलाई. हिन्दुस्तानी शादी में कितने लोग आते हैं?

तीनों होटलों में कुल कमरों की संख्या – 1407. अगर साठ परसेंट आक्युपेंसी भी हो तो उस समय उन कमरों में से 844 में लोग हो सकते थे. बहुत सारे कमरों में एक से ज्यादा लोग भी हो सकते थे (परिवार, ग्रुप). इसमें शादी, मीटिगों, सेमिनारों के लोग भी जोड़िये जो वहां थे.

दूसरे दिन से ही हमें सुनने को मिला कि धमाकों में लगभग 200 लोग मरे, और सुई यहीं अटक गई. बल्कि एक बार तो official figure 195 से रिवाइज़ होकर 170+ पर पहुंचा और वहीं रुका है.

ताज में फायरिंग बहुत समय तक चली, और निकलने वालों की संख्या ज्यादा नहीं थी (आप में से जो टीवी देख रहे थे, जानते हैं कि कितने लोग बाहर आये, और कितनी बार). बीच में एक बार यह भी सुनने को आया की ताज में हर मंजिल पर लाशें मिल रहीं हैं, और एक बार तो एक कमरे में ही 40 लोग मिले ऐसी खबर थी.

ताज बालरूम में कितने लोग थे? इन आतंकवादियों के पास होस्टेज कितने थे? इन्होंने सउदी अरब के लोगों को तो छोड़ा (जिन्हें अबु आजमी लेकर आये), लेकिन बाकियों को तो नहीं छोड़ा था, वो कहां गये?

सड़क पर फायरिंग में (मेट्रो के पास, कामा हास्पीटल के पास, जीटी हास्पीटल के पास) भी फायरिंग की खबर थी. उसमें लोग मरे? कितने?

कोई भी (सरकार, या मीडिया) आतंक में मरे लोगों का विस्तृत (कहां कितने लोग मरे) ब्यौरा क्यों नहीं दे रहा?

मुझे लगता है कि इस आतंकवादी कार्यवाही में 200 नहीं, उससे कहीं ज्यादा लोग मरे हैं, जो हो सकता है इस संख्या दे दुगुने, या 5 गुने भी हो सकते हैं, क्योंकि एक बार जब आतंकवादी कार्यवाही शुरु हुई उसके बाद बहुत कम लोग बाहर निकले थे.

इस समय मृतकों की संख्या में clarity नहीं है, और

हर कीमत पर खबर,
सबसे आगे
सच दिखाते हैं

…. जैसे स्लोगन देने वाला मीडिया भी इस बात पर conveniently चुप है.

तो कौन बतायेगा की मुम्बई के आतंकी हमलों में मरने वालों की सही संख्या क्या थी? क्या मीडिया में कोई यह सवाल भी उठायेगा?

6 comments:

  1. सोचने वाली बात तो है ही, वैसे भी हमेशा "सरकारें" मरने वालों की संख्या कम करके बताती है, फ़िर यहाँ तो "अमीरों" का मामला है भाई, वैसे एक पाटिल के इस्तीफ़े की लाश ही सब पर भारी पड़ गई और मीडिया उसी प्रकार मरे हुए जानवर को निचोड़ता रहा, जैसे पहले करता रहा था…

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  2. he bhagwan, the mumbai govt is telling that 195 is dead from the 2nd day. Now after finding 40 dead bodies in Taj the figure is still 200!

    What is realty?

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  3. ठीक कहा आपने सिर्फ़ अमीरों की गिनती है गरीब गुरबे जो ताज और ओबेरॉय के बाहर मरे उनको कौन पूछता है |

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  4. अबू आजमी सउदी के लोगों को लाये थे या आतंकवादि को इसकी जांच होना अभी बाकि है अभी तो यह भी पता करना बाकि है कि वो कहीं कुछ पहुंचाने तो नहिं गये थे?

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  5. सऊदी सरकार से बात क्यों नहीं की जाती, यदि उनके लोगों को चुन-चुनकर छोडा गया है और अबू आजमी उन्हें निकाल कर लाये हैं तो इससे ज्यादा गंभीर मुद्दा और कोई नहीं हो सकता.

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  6. Every political party is talking about the welfare of the common man. If they are really serious why can't they all sit together and find a solution to such problems.

    Jolly Uncle
    http://www.jollyuncle.com
    http://nvonews.com/author/joly/

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