चुनाव का समय है, आजकल नेतादर्शन कुछ ज्यादा ही हो रहे हैं. नेतागण टीवी पर भारी डिबेटें कर रही हैं और उसमें लचर-लचर दलीलें आंय-बांय बक रहे हैं, हम मुंह फाड़े झेल रहे हैं.
ऐसी ही एक दलील का पोस्टमार्टम करते हैं
दलील है – गलत वक्त पर सही बात
बानगी पेश है : आडवाणी ने देश का पैसा वापस मंगाने की बात अब ही क्यों उठाई… क्यों उठाई अब? बोलो? जवाब दो… अब ही क्यों?
टेप लगा दो मुंह पर, फिर नहीं बोलेगा.
क्यों भैया कोई खास मुहुर्त चल रहा है इस समय जिसमें देश कि भलाई की बात करना मना है? भाई मेरे तुम ये न पूछ रहे कि बाकियों ने अब भी क्यों नहीं उठाई, तुम ये पूछ रहा हो कि जिसने उठाई उसने भी क्यों उठाई?
घसियारा लाजिक है. बल्कि घास चरके लीद किया हुआ लाजिक है.
देश हित की बात है. देश का पैसा है. टैक्स दिये बिना, घूस-वूस में कमा के देश के बाहर भेज दिया. कोई लाख-दो लाख नहीं 25 हजार करोड़ है. अगर कोई आदमी चुनाव के समय ही सही, अगर यह कहे की भैया देशचोरों से पैसा वापस लाना है तो इन्हें ऐतराज है?
खबर तो पिछले साल से है कि जर्मन सरकार नाम बतलाने के लिये तैयार थी. यहां तक की नवंबर में मैंने भी इसका जिक्र किया था (http://wohchupnahi.blogspot.com/2008/11/blog-post_22.html, नीचे जा के पहला पाइंट देखिये) अपने पत्रकार भाई लोग तो बिना बात की बकवास करके नोट जुटाने में चिपे थे… तो भैया तब तो न उन्होंने, न तुमने इस बात का जिक्र किया. तकिये के नीचे दबाकर बैठे थे. अब अगर बात उठी है तो इसे उड़ाने की बजाय बिठाकर गौरवान्वित कर रहे हो़? नेता लोग तो पहले ही अजब-गजब थे, और अब अपने देश के पत्रकार गजब-अजब हो रहे हैं.
इधर कोई चिल्ल मचा रहा है ‘ऐं क्यों बोला अब..’ उधर कोई बिलबिला रहा है ‘ओये.. अब क्यों बोला..’
सच्ची-सच्ची बोलूं?
बात यह नहीं है कि अब ही क्यों बोला.. बात यह है कि भैया -- क्यों बोला!… बोला ही क्यों! -- क्यों ही बोला!…
अब नहीं भी बोलता तो जब भी बोलता तब भी ‘अब बोला?’ कर देते अपने गुणीजन.
अबे थोड़ी तो शर्म करो… क्या इसी दिन के लिये देश का नमक खा कर बड़े हुये हो?
जिनका पैसा स्वीज़ बैंको में है उन्हे तिलमिलाहट होगी ही.
ReplyDeleteab bhi kyon bola, saalon ne desh ki ......... ek kar di hai.
ReplyDeleteसच्ची बात है,
ReplyDeleteसाले कांग्रेसियों और बेशर्म-निर्पेक्षी कमीनिष्टों ने देश की एक कर दी
इन पर तो कस कस कर जूते ही लगाने चाहिये
sahi baat likhi bhai. ye to sahi baat hai, chahe jab bolie
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