Thursday, April 30, 2009

राष्ट्रवाद क्यों?

राष्ट्रवाद क्या है? जमीन के एक टुकड़े से प्यार? किसी जगह की सभ्यता, वहां रहने वाले लोगों, वहां की हर चीज के लिये दिल में जज्बा? क्यों हो हमें राष्ट्र नाम के इस टुकड़े से लगाव? क्यों हम बात करें इसके लिये, क्यों हम लड़ें राष्ट्र के लिये? क्यों हम विरोध करें उनका जिन्हें हमारे राष्ट्र से विरोध है और जो लगें है इसे खोखला करने?

यह है हमारा राष्ट्र भारत, हिन्दुस्तान, इन्डिया

आखिर क्यों किसी राष्ट्र के सभी नागरिकों का अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित और राष्ट्रवादी होना जरूरी है? क्या हम कोई दूसरा रास्ता नहीं चुन सकते, जैसे कुछ लोग साम्यवादी होते हैं, कुछ पूंजीवादी, आखिर इतने सारे ‘वाद’ हैं तो राष्ट्रवाद को इतना बड़ा क्यों समझें? राष्ट्रवादी न होना इतनी दिक्कत वाली बात क्यों है?

क्योंकि

The Nation is your first line of defense

राष्ट्र आपकी सुरक्षा का पहला घेरा है
अगर राष्ट्र सुरक्षित है तो प्रांत सुरक्षित है
अगर प्रांत सुरक्षित है तो शहर सुरक्षित है
अगर शहर सुरक्षित है तो ग्राम सुरक्षित है
अगर ग्राम सुरक्षित है तो मोहल्ला सुरक्षित है
अगर मोहल्ला सुरक्षित है तो घर सुरक्षित है
अगर घर सुरक्षित है तो आपका परिवार सुरक्षित है

यह मत समझिये की राष्ट्रवादी होना एक बहुत महान फिलासफी का पालन करना है. राष्ट्रवादी होना अपने परिवार व खुद अपनी सुरक्षा के प्रति सजग होना है. जो राष्ट्रवादी नहीं है वह खुद अपने परिवार की सुरक्षा के लिये खतरा है और दूसरों के भी.

बार-बार देखा गया है कि जो लोग अपने देश की राष्ट्रद्रोही ताकतों को रोकने में असफल रहे उन्होंने सब कुछ खो दिया, सम्मान, सुरक्षा, परिवार.

इसलिये जो राष्ट्रद्रोह की बात करे, या जिनसे राष्ट्र की सुरक्षा प्रभावित हो उन्हें रोकना जरूरी है. अगर कोई राष्ट्र की सुरक्षा को हानि पहुंचाने वाले तत्वों का समर्थन कर रहा है और आप बिना प्रतिवाद करे सुन रहे हैं तो आप अपने देश ही नहीं अपने पूरे वजूद को, हर उस चीज को जिससे आपको प्यार है, खतरे में डाल रहें हैं.

इसलिये राष्ट्र के खिलाफ बात को देख-सुन कर निकल मत जाइये, प्रतिवाद कीजिये, विरोध कीजिये, अपनी बात संयत और संतुलित शब्दों में कहिये लेकिन जो गलत है उसे गलत कहने से डरिये मत, शब्दों को क्षीण मत करिये.

राष्ट्र की सुरक्षा ही व्यक्ति की सुरक्षा है.

5 comments:

  1. कहते हैं कि-

    अमन चोर देखो अमन बेचते हैं।
    कफन चोर देखो कफन बेचते हैं।
    पहरुआ बनाया जिसे जन वतन का,
    वो दिल्ली में बैठे वतन बेचते हैं।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. राष्ट्रवाद को लेकर मेरे मन में कुछ संशय था। आज दूर हो गया। धन्यवाद।

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  3. बात बहुत दूर नहीं गई...आप जिस राष्ट्रवाद की बात कर रहे हैं..वो राष्ट्रवाद का मनमोहक सिरा है, राष्ट्रवाद का ध्यान करते वक़्त हिटलर राष्ट्रवादी का भी ध्यान रखना चाहिए..जो अपने आप को आर्य का शुद्ध खून कहता था, और सारे यहूदी उसके लिए दूषित प्रजातियाँ हैं...जो दुनिया के लिए खतरा भी हैं..... देश,क्षेत्र,जलवायु के आधार पर वर्ण भेद को नस्लवाद तक घसीटना भी राष्ट्रवाद का नारा है, राष्ट्र के सभी प्रमुख कार्य में धर्म को सर्वोपरि रखकर, राजनैतिक कार्यो में धार्मिक हस्तक्षेप करना भी राष्ट्रवादी संहिता के अंतर्गत आता है...अवधारणा को और साफ होना ज़रूरी है..

    Nishant...
    www.taaham.blogspot.com

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  4. rastravad par ek bahut achcha lekh hai.rashtravad ke bare mein hame soch ko aur vistar dena chahiye jisme kisi dusre ki sukh shanti ka hanan na ho kyonki dushre ki sukh shanti chenne ka matlab hai hamari sukh shanti ka chinna. kabhi bhi sataye hue dushman bankar prtikriya de sakte hai jisse hamare apne us rastra ko khatra pahunchega jise bachaane ke liye hamne dushro ko sataya . phir wo kis kam ka rashtrvad raha jahan hum us karya se rashtra ko bacha hi nahi paye.

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