अजमल कसाब जब पहले-पहल पकड़ा गया तो रो-रोकर उसने मांग की कि उसको मार दिया जाये, लेकिन थोड़ी ही देर बाद रोना अस्पताल में इलाज करवाने के लिये था. जेल गया तो पहले सारा कच्चा चिट्ठा उगल मारा. बाप-भाई, बहनोई सबके पते दे दिये, लेकिन हिन्दुस्तानी मेहमाननवाजी तो पूरे जग में प्रसिद्ध है, थोड़े दिन सरकारी मुर्ग खाये तो मुटिया गया, हिन्दुस्तानी कानून का हाल-बेहाल भी पता चल गया, इसलिए आजकल वो अपराधी नहीं नेताओं की तरह मांगे कर रहा है.
मुझे यह दो, मुझे वह दो, यह कैदी भी सुविधापरस्त हो चला है. जब ऐसी टोटल ऐश हो तो क्या डर कानून का, इसलिये अदालत में मजे से अपने बयान से मुकर गया. उसने कहा कि बयान तो दबाव में दिया था मैंने.
अगर इसकी जगह कोई और देश होता (जैसे चीन या रूस) तो पट से ट्रायल, और फटाक से फांसी तक पहुंच चुका होता कसाब. कसाब के अपराध को साबित करने के लिये भी लंबा मुकदमा चाहिये?
चलिये अब मुद्दे की बात पर आते हैं. आखिर कौन से कानून हैं वो जिनका उल्लंघन कसाब ने किया जब वो मुम्बई में लोगों की जानें लेने निकला (पूरे 166 लोगों को मारा इन इस्लामिक आतंकवादियों ने).
1. किसी व्यक्ति की जान लेना.
2. देश के खिलाफ युद्ध
3. लूट
4. खूब सारे और छोटे-मोटे कानून...
कानूनों कि लिस्ट लंबी है, और कसाब पर फाइल की गई चार्जशीट भी.... दिल थाम के सुनिये .... 1000, 2000, 3000.... नहीं, पूरे 11,000 पेज की है (पाकिस्तान के बाबा आजम के भी दद्दु गजनी के ताऊ से शुरु की होगी गपड़चौथ)
इस चार्जशीट को पढ़ने और समझने में लगेंगे जज को 20 साल, फिर मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाते-जाते और फैसला होते-होते कसाब भी अपनी हूरें कब्जाने जन्नतनशीन हो चुका होगा (बुढ़ापे से मरेगा)
अच्छा वो कानूनों की सूची पढ़ ली थी न आपने? सही सूची है न? कुछ कमीबेशी?.... नहीं है?
भाई आपको बता दें कि महाराष्ट्र (कांग्रेस का शासन है जी इधर) में एक धांसू कानून और है जिसे कहते हैं मकोका (MCOCA). नाम याद रखना. इस धांसू कानून के अंतर्गत कुछ और आतंकवादी बंद हैं जिन पर फौरन कांग्रेस के सेक्युलर सरकार ने मकोका चिपका दिया था और वो जेल में सड़ रहें हैं. वो थे 'हिन्दू आतंकवादी' प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित. कांग्रेस को भरोसा है कि प्रज्ञा और पुरोहित कसाब से ज्यादा खतरनाक हैं जिन पर ज्यादा कठोर कानून लगना चाहिये.
वैसे ये भी पता होना चाहिये कि अगर कसाब पर मकोका लगा होता तो वह आज अदालत में मुकर नहीं पाता क्योंकि मकोका के अंतर्गत उच्च पुलिस अधिकारी के आगे दिया बयान मान्य होता है. अब जब कसाब अपने हल्फिया बयान से मुकर गया तो पुलिस की सारी कार्यवाही नये सिरे से होगी (मतलब अफजल को नया हमसाया मिल गया).
और भी जबर्दस्त खबर सुनेंगे?
कसाब के वकील (वही जो दाउद के गुर्गों के मुकदमे लड़ता रहा है) ने कहा कि भैया कसाब तो एकदम बच्चा है. उस पर मुकदमा बच्चों के कोर्ट में चलाया जाये, इस कोर्ट को कोई हक नहीं सुनवाई की. अब समझे वाघमारे को हटाने का राज? जैसे-जैसे केस पुराना होगा, कसाब के खिलाफ तथ्य हल्के होंगे और उसके पक्ष में मजबूत.
अब तो यह सोचता हूं कि क्यों तुकाराम ओंबले ने जान देकर इस हरामखोर को जिंदा पकड़ा, ठोक देना था वहीं.
क्या आप में से कोई मुम्बई की चुनी हुई सरकार से पूछेगा कि उसे कसाब मकोका के लायक क्यों नहीं लगा?
"कसाब मकोका के लायक क्यों नहीं लगा?"
ReplyDeleteसोनिया जी का आदेश नहीं मिला होगा
हिंदुस्तान है भय्या ! का समझे ??
ReplyDeletesau baat kee ek baat ye ki yadi sab kuchh kar ke faansee ke faisle tak bhee pahunch jaate hain to bhee kya hoga, afjal udaahran hai na... apne badhiyaa likhaa...
ReplyDeleteअब इन से इस से ज्यादा क्या उम्मीद की जा सकती है।जै्सी मालकिन की आज्ञा होगी वैसी ही तो कार्यवाही होगी।
ReplyDeleteकसाब को पता है, यह हिन्दुस्तान है. हर महिने दो महिने में कहीं कहीं धमाके होते थे, मगर लचर गृहमंत्री देने वाली सरकार ही वापिस आनी है. तो उसका जमाई जैसा सत्कार होते ही रहना है.
ReplyDeleteनही नही इस से देश पर अल्पसख्यको के खिलाफ़ ज्यादती का आरोप लग जायेगा जी . आखिर हमे महेश भट्ट तीस्ता सीतलवाड को भी मुंह दिखाना है ना :)
ReplyDeleteहिन्दू होता तो पतानही क्या क्या लगा दिया होता
ReplyDeleteठोक देना था वहीं..आपकी इस लाइन ने बहुत कुछ कह दिया..
ReplyDeleteकसाब का नाम यदि कुनाल होता तो वो अब तक मकोका के तहत किसी जेल में सड रहा होता..
अति उत्तम लेख… कुछ नीच "सेकुलर" आजकल राम जन्मभूमि पर होने वाले खर्चों को लेकर रोना-धोना मचाये हुए हैं… उन्हें कसाब, अफ़ज़ल, तेलगी, सलेम, शहाबुद्दीन की "खातिरदारी" पर होने वाला खर्च दिखाना होगा…
ReplyDeleteसच हमारे कानून में इतनी पेचिदगियां हैं कि सही लिखा है आपने-- इस चार्जशीट को पढ़ने और समझने में लगेंगे जज को 20 साल, फिर मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाते-जाते और फैसला होते-होते कसाब भी अपनी हूरें कब्जाने जन्नतनशीन हो चुका होगा (बुढ़ापे में मरेगा)
ReplyDeleteपूरी तरह सहमत हूं। कसाब पर मेरी भी एक पोस्ट आ रही है हो सके तो पढ़ना।
Hats off to you.. and to your post..
ReplyDeleteमित्र बीस साल के अन्दर तालिबानी हुकूमत कायम होगी भारत में. हिन्दू बेवकूफ हैं, ये इतिहास से सबक नहीं लेते. नेताओं की तो.................. ये गद्दी के लिये अपने घर की औरतों को भी चौराहे पर नचवा सकते हैं.
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