Saturday, March 21, 2009

क्योंकि प्रभू ईसा को मानने वाले हत्या कर ही नहीं सकते

यीशू ने अपना खून बहाकर सबको बचाया. उन सबको जो उनपर विश्वास करते हैं, जो कहते हैं कि हे मेरे आसमानी बाप तूने अपना बेटा भेजा कि वो हम पापियों को बचा सके. लेकिन यीशू के अनुयायी हमें बताते हैं कि बचाया सिर्फ उन्हीं पापीयों को है जिन्हें यीशू के बचाने पर यकीन है. बाकी पापी सड़ेंगे अनंत नर्क की आग में.

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सही है, दयावान यीशू ने हमें बचाया, और सिखाया कि हिंसा मत करो, दया करो, प्रेम करो, अपने दुश्मन से भी प्रेम करो.

तो यीशू के अनुयायियों ने यह सीख लिया. इसलिये उन्होंने कभी किसी की हत्या नहीं की (वैसे करते भी तो भी चलता क्योंकि प्रभु यीशू ने पहले ही सारे पाप माफ कर रखे हैं).

- न तो उन्होंने अफ्रीका में लाखों लोगों को गुलाम बनाने के लिये और कई लाखों का कत्ल किया,
- न उन्होंने मेक्सिको और पूरे साउथ अफ्रीका में फैले आज्टेक और माया प्रजाती के लोगों की हत्या सिर्फ इसलिये की क्योंकि उन्होंने ईसा पर विश्वास नहीं किया,
- उन्होंने लाखों मूल अमेरिकियों की भी हत्या नहीं की, और उनके मूल धर्म का समूल विनाश भी नहीं किया.
- उन्होंने मध्य एशिया के मुसलमानों के खिलाफ 'क्रूसेड' (धर्मयुद्ध/जेहाद) भी नहीं किया, और उसमें करोड़ों लोगों को मारा नहीं.
- आज भी कोई इसाई समुदाय धर्म के लिये कहीं कोई हत्या या हिंसा नहीं करता

इसलिए जब ओड़िसा की सरकार कहती है कि प्रभात पाणीग्रही की हत्या में इसाईयों का हाथ नहीं था तो दिल बिना किसी दिक्कत के स्वीकार कर लेता. इतने उज्ज्वल अतीत और उससे भी ज्यादा उज्ज्वल वर्तमान वाला यह धार्मिक समुदाय हत्या कर ही नहीं सकता.

इसलिये न तो लक्ष्मणानन्द सरस्वती की हत्या में इसाई हाथ था, और न इसी हफ्ते हुई संघ के प्रभात पाणीग्रही की हत्या में इनका हाथ होने की कोई संभावना है (इसलिये पुलिस से आशा भी मत करिये इस दिशा में जांच की, क्योंकि जब ऐसा हो ही नहीं सकता तो पुलिस वाले क्यों अपना समय वहां बरबाद करें). तो जांच हो रही है और कातिल भी इसाई धर्म से इतर कहीं न कहीं मिल जायेंगे.

लेकिन शायद हिन्दुओं को ईसा संदेश नहीं पहुंचा है. इसलिये यह बर्बर हिन्दू उतारू हैं इसाईयों की हत्या पर. इसाई कुछ नहीं करते, लेकिन फिर भी पगलाये हिन्दू उन्हें सता रहे हैं.

यकीनन इतनी बर्बरता असहनीय है और बीजद के नवीन पटनायक भी यह सह नहीं पाये. क्योंकि ये सारे बर्बर हिन्दू बीजेपी की पैदाइश हैं इसलिये बीजद ने बीजेपी से छुटकारा पाना बेहतर समझा. अब उन बेचारे इसाईयों को वह यह संदेश दे सकते हैं कि भाई तुम्हारे हिन्दुओं की हत्या न करने में हमारा पूरा सहयोग रहेगा.

वैसे यह भी बता दूं कि निरीह इसाई विरोध की यह अजब-गजब बीमारी ओड़िसा के हिन्दुओं को कैसे लगी. असल में हिन्दुओं में जो दो-चार इन्सान हैं वो कूद-कूद कर, बच-बचाकर, किसी भी तरह, किसी भी कीमत पर इसाई बनना चाहते हैं, और हिन्दू उन्हें बनने नहीं दे रहे हैं.

घोर अधर्म है यह. न तो इसाई किसी तरह का प्रलोभन दे रहे हैं, न वो कुप्रचार का सहारा ले रहे हैं, न वो झूठे चमत्कार और नकली 'चंगाई' फैला रहे हैं, न वो पैसा बांट रहे हैं, न वो भोले आदिवासियों को बरगला रहे हैं, फिर भी पागल हिन्दू उनके खिलाफ चिल्ला रहे हैं.

वैसे ज्यादातर लोगों को शायद प्रभात पाणीग्रही की हत्या के बारे में पता भी न हो. प्रभात पाणीग्रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता थे जिन्हें दो दिन पहले 20 लोगों ने आ कर गोली मार दी वो लोग जो जो यकीनन इसाई नहीं थे.

अखबारों में बहुत पढ़ा होगा कि कंधमाल में इसाइयों को गांव में घुसने नहीं दे रहे, यह नहीं करने दे रहे, वह नहीं करने दे रहे. फीचर पर फीचर छपते हैं. लेकिन प्रभात पाणीग्रही की हत्या की बात किसी बड़े अखबार ने उस तरह नहीं उठाई जिस तरह वह एक निरीह इसाई के गांव बदर होने की बात करते हैं.

जाते-जाते कुछ लिंक दे चलूं, कि आप खबर तो जानें

और भी जाते-जाते एक खबर और – पोप ने कहा की अंगोला के लोग अपना धर्म छोड़ कर इसाई बनें

2 comments:

  1. बहुत सही लिखा है भाई

    दो दिन पहले किसी रवीश के कस्बें प्रभात नाम का आदमी भी संडास संडास कह कर अपने जीन्स दिखा रहा था, न जाने इन मूर्खों को कब अक्ल आयेगी

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  2. andhon, buddhiheenon ka desh hai, saikdon saal gulaam rahne ke baad bhi akl nahi aayi.

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