Monday, May 3, 2010

इज़राइल के सब्र का पैमाना अब छलकना ही चाहिये

पूरी दुनिया में एक ही देश है जो अपने दुश्मनों से चारों तरफ से घिरा होने के बावजूद भी उनसे लड़ रहा है और इस्लामिक आतंकवाद को इस कदर छठी का दूध याद दिला रहा है कि अगर किसी आतंकवादी को कब्ज़ की समस्या सताती है तो वह इज़राईल का नाम लेता है और बंद दरवाज़े फौरन खुल जाते हैं.

ये है उन देशों की सूची जिन्होंने इज़राइल नाम के इस छोटे, 60 लाख आबादी वाले मुल्क को घेरा हुआ है : लेबनान, जोर्डन, इजिप्ट, सीरिया.

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इन कायर आतंकवादी देशों के साथ मिलकर इस्लामिक फंडामेंटिलिस्टों ने एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, पूरे चार बार इज़राइल पर हमला किया. पहली बार 1948 में, फिर 1956 में, फिर 1967 में फिर 1973 में... याद रहे इन आतंकी कायरों ने हमला किया, इज़राइल ने नहीं. लेकिन फिर इज़राइल ने इनकी हर बार ऐसी तीन-ताल बजाई कि इनके आतंकी मंसूबे पानी में मिल गये और यह इज़राइल के जलाल के आगे पनाह मांगते फिरे.

इज़राइल ने युद्ध के दौरान इन कायर धर्मांधों की बहुत सारी जमीन कब्जे में भी कर ली, लेकिन हर बार दया करके इनकी सारी जमीन इन्हें वापस कर दी (ठीक भारत की तरह). क्या कोई इस्लामिक आतंकी गुट ऐसा करेगा? नहीं वह सारी देसी जनता की हत्या कर, उनकी संस्कृति, उनके धर को नष्ट करना चाहेगा, लेकिन इज़राइल ने कई मौके मिलने के बावजूद भी ऐसा नहीं किया.

असल में इज़राइल के खिलाफ सारा युद्ध उन लालची अरब देशों के द्वारा स्पांसर्ड है जो पैसे के लिये अपनी मातृभूमि को तो बेच ही चुके हैं.

इज़राइल भी इन लालची अरबों को एक हड्डी दिखाकर बनाया गया. 1923 में टर्की ने इज़राइल का हिस्सा ब्रितानिया के हवाले किया जिसे ब्रिटेन ने जोर्डन को दे दिया. फिर 1947 में दूसरे विश्व युद्ध में जब लाखों यहूदियों की मौत के बाद यहूदियों ने पुरजोर तरीके से अपने लिये एक देश की मांग उठाई तब यू-एन ने इस हिस्से को दो भागों में बांटा और इज़राइल का निर्माण हुआ.

उसी समय आसपास के सारे इस्लामिक देशों ने इज़राइल पर अपना कब्जा जताया और ये घोषणा कर दी कि वह इज़राइल के खिलाफ अपना घटिया धार्मिक जेहाद कर रहे हैं (जेहाद आतंकवाद का दूसरा नाम है). फिर उन भेड़ियों ने अपने देशों मे रह रहे यहूदियों का उत्पीड़न शुरु कर दिया, हजारों यहूदियों को मारा गया और लगभग साढ़े तीन (350,000) यहूदियों को जान बचाकर देश छोड़ना पड़ा (अब इन्हीं कातिलों को जब इज़राइल भगा रहा है तो यह दुनिया भर के सामने छाती पीटन कर रहे हैं).

युद्ध में जब यह इस्लामिक आतंकवादी पीटे गये तो इन्होंने अपना पुराना तरीका छिपा हुआ आतंकवाद शुरु कर दिया (जैसा पाकिस्तान भारत के खिलाफ कर रहा है). इन अरबी आतंकियों ने मुस्लिम मुल्लों से अपने नौजवानों को भड़कवाया, फिर उन्हें हथियार दिये और झौंक दिया इज़राइल पर आतंकी कार्यवाही में. इन आतंकवादियों ने इज़राइल को बहुत त्रस्त किया, वहां बम विस्फोट किये और निर्दोष नागरिकों को मारा. औरतों और बच्चों को भी इन जंगली लकड़बग्घों ने अपना शिकार बनाया. फिर इज़राइल ने वही किया जो एक शक्तिशाली और आत्मसम्मान वाले देश को करना चाहिये. इन्होंने इस्लामी आतंकियों पर कानून सम्मत कार्यवाही की, उन्हें गिरफ्तार किया, मुकाबला किया और कितने ही आतंकवादियों को अपने देश से बाहर खदेड़ दिया.

आज हालात यह हैं कि दुनिया भर के इस्लामी फंडामेंटलिस्ट इज़राइल को इस धरती से मिटाना चाहते हैं. अमीर अरब शेख और इस्लामिक देश इज़राइल के खिलाफ बयान पर बयान देते हैं और इज़राइल को मिटाने के लिये हर कोशिश कर रहे हैं. एक बेहद घटिया और खौफनाक बयान तो इरान के अहमेदिज़ेनाद ने यह दिया कि जिस दिन उसके पास एटम बम आ जायेगा वह इज़राइल को इस धरती पर से मिटा देगा!

तो आज हालात यह है कि इज़राइल के विरोध का विष इन इस्लामिस्टों ने पूरे विश्व में फैला रखा है और क्योंकि यह पैसा और संख्या दोनों में ही ज्यादा हैं इसलिये इनका जहर धीरे-धीरे समझदार लोगों को भी निगलता जा रहा है.

इसलिये आश्चर्य नहीं होना चाहिये अगर इज़राइल का सब्र अब चुक न जाये. यह याद रखना चाहिये की इज़राइल के पास उन्नत हथियार और एटामिक हथियार भी हैं और इज़राइल ने यह भी कहा है कि किसी एटमी हमले की सूरत में वह पूरे अरब को नेस्तानबूद कर देगा. इसलिये जिन कातिलों के मंसूबे इज़राइल को नष्ट करने के हैं उन्हें याद रखना चाहिये कि यह कोई कमज़ोर देश नहीं है जो इनके अत्याचार को सह ले. इज़राइल का तमाचा जब गाल पर पड़ता है तो गाल लाल हो जाता है और वर्षों सहलाना पड़ता है.

अब इस्लामिक आतंकवादियों के दिन लद चुके हैं. इराक तबाह हो गया, अफगानिस्तान भी, और पाकिस्तान भी तबाह हो रहा है. इरान के दिन जल्द ही आने वाले हैं. जो भी देश विश्व में अशांति फैलायेगा उसे नष्ट होना ही होगा

- विष्णु

इस लेख के रचियेता श्री विष्णु पंडित त्रिपाठी हैं जो चैन्नई के एक मंदिर में पुजारी हैं और आतंकवाद का 'वैज्ञानिक अध्ययन' कर रहे हैं. उनके आग्रह पर आप सब के पढ़ने के लिये उनका यह लेख डाल रहा हूं

6 comments:

  1. अरे, इस लेख को तो हमारे चौबे जी को पढना चाहिये

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  2. इजराइलियों के राष्ट्रवादी जज्बे को सलाम !

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  3. लेखक तक हमारा पेगाम भेजो कि सारी दुनिया मिल जाओ इन्‍हें शान्ति दिलादो, इस्‍लाम हार जायेगा, इनका अमन, चेन, सकून सब इनसे ले लिया गया इन्‍हें कभी शान्ति नहीं मिलेगी, नक्‍शे में बहुत छोटा सा भाग दिखा रहे हो, बस करना यह है कि इस छोटे से देश में वहां अमन लादो सकून लादो, चेन ला दो,

    इन में इतनी दहशत भरी हुयी है कि कोई जेब में हाथ देता है तो दूसरा सोचता है यह बम निकालेगा

    सारी दुनिया मिल जाओ, लग जाओ शान्ति के लिये पढ कर यह

    अल्‍लाह का चैलेंज: यहूदियों (इसराईलियों) को कभी शांति नहीं मिलेगी

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  4. कैरानवी जी को शांति नसीब हो, सुकून मिले... बिल्कुल सही लेख है. एक एक बात सही है.. चौबे जी और पाण्डेय जी इसे न ही पढ़ें तभी अच्छा है वर्ना बेचारों को पानी की जरूरत पड़ जायेगी...

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  5. आतंकवाद की जड़ें गहरा गयीं हैं लोभ ही वह खाद है जो इसे पनपने में सहायक है यह लोभ सभी को अच्छा और नेक बनाने का भी हो सकता है जो तलवार के दम पर सबको एक और नेक बनाने की ख्वाहिश रखता है

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  6. ek baat kehna chahunga dosto aman ki baate karne me aur aman kayam rakhne me aasman jameen ka fark hota hai.Ye Log Aman Ki Baatein Kar ke Time Pass Kar Rahe Hai Taki In Between Unka parmanu bam ban jaye, abhi arab countries including iran also apne aap ko smart samaj rahe hai, par hakikat jab arab country ko pata chalegi tab wo sare ke sare I REPEAT SARE K SARE Khatam Ho Chuke Honge,Kyonki Israel Yahi Chahta Hai Ke Koi Suruat Kare Taki End me Koi Uspe Blame Na Kare Ki Yuddh Usne Start Kiya.wo sirf ise apna self defense batayenga is electronic media k yug me, Aur In Murkho Ko Samaj Me Nahi Aata.Aur Murkho ko Kabhi Samaj me Aayega Bhi Nahi, Tabhi To Use Murakh Kehte Hai.

    VINASH KALE VIPRIT BUDHHI.

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