कुछ वक्फ़ा पहले जब सिमि पर से प्रतिबंध हटाने का विरोध हुआ, और नये सिरे से प्रतिबंध लगाने के लिये आंदोलन चालू हुआ तो कुछ राजनीतिक पार्टियों ने इसका विरोध किया. उनके अनुसार सिमि पर से प्रतिबंध हटना चाहिये. इनमें शामिल हैं - लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान, मुलायम सिंह, व कांग्रेस.
दलीलें कई दी गयीं, लेकिन सबसे हास्यास्पद बात थी यह मांग की सिमि पर प्रतिबंध है तो बजरंग दल व विहिप पर भी लगना चाहिये. आइये, आज इसी मांग का dissection करें.
- एक बार प्रभु ने रामधन से कहा 'मांग जो तुझे चाहिये, बस शर्त इतनी के तेरे पड़ोसी को उससे दुगुना मिलेगा'. रामधन सोच कर बोला, 'प्रभू मेरी एक आंख फोड़ दो'.
लालू, मुलायम, रामविलास सिमी पर प्रतिबंध लगवाने के लिये तैयार हैं, बशर्ते विहिप और बजरंग दल पर लग जाये. वाह री राजनीति!
- सउदी धर्म के किसी मौलाना के भाषण में सुना (Documentary : Radical Islam) कि अमेरिकी और बाकी विश्व उसका तेल ले रहा है, और सउदी अरब की हर तकलीफ के जिम्मेदार वो हैं, यहां तक की वहां होने वाले अपराधों का भी.
नेता चाहे यहां के हो, या वहां के, जानते हैं कि जनता को अच्छी जिंदगी न दे सकें तो एक मुद्दा थमा देना चाहिये. इसलिये लालू-पार्टी मुसलमानों के उत्थान के लिये चाहे कुछ करे-न-करे, बजरंग दल के मुद्दे को उछाल कर उनका भावनात्मक शोषण तो कर ही रही है.
-अगर कभी दाउद हिन्दुस्तान की गिरफ्त में आया तो कहेगा, 'मुझे पकड़ने से पहले छोटा राजन को पकड़ो, वरना मुझे भी खुला छोड़ दो.'
साफ बात है, कांग्रेस-लालू पार्टी को कई सौ लोगों की जान लेने की जिम्मेदार इंडियन मुजाहिद्दीन (सिमी भी कह सकते हैं) पर नकेल तभी स्वीकार है जब पहले बजरंग-दल और विहिप पर नकेल कस चुकी हो.
- भेड़िये को पकड़ने से पहले मरखने बकरे का फैसला करेगी यह सरकार.
ये तो सभी मानते हैं कि बजरंग दल वाले कोई महान कार्य नहीं कर रहे, लेकिन उनकी सिमी से तुलना उनका मूल्यांकन उन्हें एक बहुत अलग स्तर पर ले जाना है.
बजरंग दल की तरह की गतिविधियां करने वाली तो न जाने कितने छोटे-मोटे इस्लामिक संगठन हैं जिन पर प्रतिबंध की तो मांग भी नहीं उठी है (परिप्रेक्ष्य तस्लीमा के खिलाफ गतिविधियां).
बजरंगीयों में शैतानियत कम, बेवकूफी ज्यादा है, लेकिन सिमी और उसका इंडियन मुजाहिद्दीन खुले तौर पर शैतान की औलादें हैं.
तो फिर सिमी से बजरंग दल की तुलना क्यों करते हैं यह राजनेता?
- ताकी वो आपका अपनी अकर्मण्यता से ध्यान हटा सकें.
- ताकी वो मुस्लिम समाज को मुगालते में रख सकें की वो उनके हितचिन्तक हैं.
- ताकी वो अपने मुस्लिम वोट बैंक को बनाये रख पायें, और इसकी कीमत वो बम विस्फोटों में निर्दोष जानों से देने को तैयार हैं.
- ताकी वो अपने विरोधी पार्टियों, व दलों को बैकफुट पर ला सकें (If you don't have a defense, respond with an attack).
कोई भी स्टैन्ड दो ही कारणों से लिया जाता है
1. प्रबल विचार.
2. जाती फायदा.
यह सोचना मूर्खता है कि जो राजनीतिज्ञ सिमी पर प्रतिबंध का विरोध कर रहे थे वो अपने वैचारिक प्रतिबद्धता के चलते ऐसा कर रहे थे. क्योंकि लोगों की हत्या की प्रतिबद्धता तो सिर्फ आतंकियों की होगी, और यकीनन कोई भी नेता उस जमात में नहीं शामिल दिखना चाहेगा.
तो उन्होंने ऐसा क्यों किया इसका जवाब सिर्फ जाती फायदे वाले नुक्ते में ढूंढ़िये.
अफक के पार भी नजारा है बहुत दूर तलक
तंग-चश्मों को मगर इल्म-ए-हकीकत क्यों हो
(विश्व)
- मुद्दआ जारी रहेगा.
और हां. बजरंग दल के साथ क्या होना चाहिये, आगे इसकी चर्चा भी होगी.
अच्छा विश्लेषण है. एक बात समझ में नहीं आती. लालू, पासवान दोनों इस सरकार में मंत्री हैं. मुलायम सरकार की नाव के खेवैया हैं. मनमोहन भी कोई विशेष प्रेम नहीं करते हिन्दुओं से. सोनिया की क्या कहें? फ़िर क्यों नहीं यह सरकार बजरंग दल और विहिप के ख़िलाफ़ जांच करवाते और अगर यह संगठन राष्ट्र विरोधी कार्यवाहियों में लिप्त हैं तो उन पर पाबंदी क्यों नहीं लगाते? फ़िर सिमी पर पाबंदी तो इसी सरकार ने लगाई है. इंडियन मुजाहिदीन के बारे में भी यह सरकार और उस की जांच एजेंसियां ही कह रही है.
ReplyDeletebahut sundar likha hai, jo sthition ko spast karta hai.
ReplyDeleteगुप्ता जी का सवाल मौजूं है
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