Sunday, September 14, 2008

हमने पोटा हटाया, मकोका नहीं क्योंकि वो पुराना था. और हां गुजरात के लिये मकोका जैसा नया कानून नहीं देंगे.

terror

अभिषेक मनु सिंघवी सावधान राजनेता हैं, वो चाहते हैं कि लोग उनका वही मतलब समझें जो वो कहना चाहते हैं. वो टेलिव्हिजन पर कहते हैं - "मुझे पूरा मौका दीजिये अपनी बात कहने का, क्योंकि बहुत सारे लोग देख रहे हैं, और वो भी अपना दिमाग इस्तेमाल करेंगे."

लेकिन लगता है कि अभिषेक मनु सिंघवी को अपनी ही बात पर भरोसा नहीं. नहीं तो वो समझ जाते की जो दलीलें उन्होंने दीं वो कितनी थोथी थीं.

राजनीति मुद्दे से ध्यान भटकाकर अमुद्दे पर ले जाने की कला है, और अरुण जेटली भी इसमें कम माहिर नहीं. दोनों शातिर खिलाड़ी लगे हैं सबको बेवकूफ बनाने.

- कांग्रेस आतंकवादी विरोधी कानून बनाने को तैयार नहीं.
- बीजेपी केन्द्र संचालित आतंकवाद निरोधक विभाग के लिये तैयार नहीं.

क्यों? क्यों? क्यों? क्यों?!!!!

कांग्रेस कहती है

- पोटा कानून के अंतर्गत मानवाधिकार उल्लंघन का रिकार्ड है.
1. आतंकवाद के अंतर्गत मानवाधिकार उल्लंघन नहीं होता? कुल कितनी जानें गईं  - अहमदाबाद विस्फोट, मुम्बई, बैंगलोर, दिल्ली. क्या पोटा में उससे ज्यादा लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ?

क्या देश के नागरिक मानव नहीं हैं?

2. मानवाधिकार का उल्लंघन कानून नहीं करता, कानून के कारिंदे करते हैं. मानवाधिकार का उल्लंघन दफा 300, 302, 320, 351, (आगे)... में भी किया जा सकता है, तो क्यों न आप देश के सारे कानून निरस्त करें?

देश में हर साल कितने लोगों की पुलिस कस्टडी में जान जाती है? क्या वो सब पोटा के अंतर्गत मरते हैं? या उनके मानवाधिकार पोटा बंदी के मानवाधिकारों से कम थे?

क्या जरुरत कानून से बचने की है या उसका सही इस्तेमाल पक्का करने की.

हां ? नहीं ?

- पोटा से क्या आतंकवादी घटनायें रुक गईं ? संसद पर फिर भी हमला हुआ.

कांग्रेस की इस दलील पर कुर्बान हो जाने का दिल करता है.

इतने सारे कानून हैं इस देश में. कत्ल के खिलाफ, चोरी के खिलाफ, ब्लात्कार के खिलाफ, फिर भी क्या यह सब अपराध रुके?

हटा दो! हर कानून मिटा दो! विनती है तुमसे.

अपराध का निर्मूलन कानून बनाने से कब हुआ है? अपराध का निर्मूलन कानून को सही लागू करने से होता है. लेकिन लागू करने वालों के हाथों में सही कानून होना चाहिये. क्या खाली हाथ हमारी सुरक्षा एजेंसियां बदकार आतंकवादियों से लड़ पायेंगी?

- पोटा के अंतर्गत अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया.

लेकिन कानून तो बनाया गया था आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिये. तो क्यों न यह निश्चित किया गया कि जो निर्दोष हो (बहुसंख्यक समुदाय से, या अल्पसंख्यक समुदाय से) उसे बचाया जा सके.

दूसरी बात. लगभग सभी आतंकवादी अल्पसंख्यक समुदाय के ही हैं. उन्हें बड़े स्तर पर प्रोपोगेन्डा का इस्तेमाल कर देश व समाज के विरुद्ध ब्रेनवाश किया जा रहा है. जब लगभग हर आतंकवादी इसी समाज का हो, तो यह दलील देना बहुत आसान है कि इस अल्पसंख्यक समाज को निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि जो आतंकवादी मिलेगा, ज्यादातर मामलों में इसी समुदाय का होगा. तब क्या उसको गिरफ्तार न किया जाये?

क्या जो बचे-खुचे कानून हैं, उनमें अल्पसंख्यकों को गिरफ्तार न करने का प्रावाधान है, आरोप चाहे जो हो?

- गुजरात को मकोका जैसा कानून नहीं देंगे, क्योंकि गुजरात में उसका बेजा इस्तेमाल हो सकता है. महाराष्ट्र से मकोका नहीं हटायेंगे, क्योंकि वो पुराना है.

क्या हम सब देशवासी निर्बुद्धी हैं जिन्हें इस दलील के छेद दिखाई नहीं देंगे़?

गुजरात क्या देश का हिस्सा नहीं? या आतंकवाद गुजरात की समस्या नहीं? क्या केन्द्र सरकार को अहमदाबाद, अक्षरधाम, सूरत दिखाई नहीं देते? या फिर गुजराती मरें तो केन्द्र को फर्क नहीं पड़ता? तो क्यों न गुजरात को महाराष्ट्र की बराबरी का दर्जा देकर मकोका जैसा कानून दिया जाये?

या अगर ये ही मान लें कि मकोका इसलिये नहीं देना चाहिये क्योंकि उसका बेजा इस्तेमाल होगा तो फिर महाराष्ट्र में क्यों इस तरह का कानून है? वहां क्या इल्जाम नहीं लगे कि इस कानून का बेजा इस्तेमाल हो रहा है?  या क्योंकि महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार है तो वहां इसका बेजा इस्तेमाल इजाजत योग्य है?

अगर किसी कानून के गलत इस्तेमाल की संभावनायें हैं, इतनी कि उसे दूसरे राज्य में लागू करना सहीं नहीं माना जा रहा, तो क्या सिर्फ इस आधार पर उसे निरस्त न करना उचित है कि वह पुराना है?

अगर इस तर्क को उचित माना जाये तो फिर उन सारे कानूनों को निरस्त कैसे करा जा सकता था जिनका निर्माण अंग्रेजों ने देशवासियों का दमन करने के लिये किया था?

बीजेपी कहती है

- केन्द्रीय जांच एजेंसी से पहले पोटा जैसा कानून लाइये.

कांग्रेस आतंकवाद की जांच के लिये केन्द्रीय एजेन्सी बनाना चाहती है, लेकिन बीजेपी का कहना है कि समर्थन के लिये पोटा जैसा कानून लाइये.

एक तरफ तो अरुण जेटली का कहना है कि केन्द्रीय जांच बल की सोच आडवाणी की थी और उसके लिये तब कांग्रेस शासित प्रदेश तैयार नहीं थे. अब उसके शासित प्रदेश इसके निर्माण के लिये तैयार नहीं? निरी धांधली है यह.

क्या केन्द्रीय जांच ऐजेंसी का निर्माण सिर्फ इसलिये टलता रहे कि दोनों पार्टियां अपनी छिछली सौदेबाजी और बदला लेने की कार्यवाही में लगी हैं. क्या देशवासियों की जान इतनी सस्ती है?

बीजेपी को क्यों दिखाई नहीं देता की हर छोटा-से-छोटा कदम जिससे आतंकवादी कमजोर हो, देशहित में हैं, और इसको रोकने के बदले प्रोत्साहित करना चाहिये. क्या इस मुद्दे यह ओछापन देशद्रोह से कम है?

मैं कहता हूं

टूट जायेगी गुलामी की कड़ी दम भर में आप
हिन्दु-ओ-मुस्लिम के बस कंधा सटा देने के बाद
(माहिर)

ऐ हिन्दू, ऐ मुसलमान. उठ जाओ दीनो-धर्म से ऊपर.

सबसे बड़ा धर्म है इंसानियत, क्योंकि खुदा तक ने तुम्हें अकेला छोड़ दिया पाप-पुण्य के नाम पर मरने को और साथ दिया तो बस दूसरे इन्सानों ने.

आतंकवाद का उन्मूलन करने के लिये बात हो लिबर्टी की, फ्रीडम की, उम्मीद की, दीन की बिलकुल नहीं, धर्म की बिलकुल नहीं.

सबसे पहले तो हर देशवासी निश्चय करे की देश के खिलाफ किसी प्रकार का प्रोपोगेन्डा सुना न जाये, और इसके प्रसार को रोका जाये.

-- मुद्दआ जारी रहेगा.

1 comment:

  1. सही लिखा हैं आपने पिछले चार साल की ही बात करे तो हिंदूस्तान में आतंकवादी घटना में सैकड़ो लोग मारे गये है एक मिसाल जुलाई 2005 अयोध्या मे काफिरों का हमला, 7 मार्च 2006 वाराणसी हमला,1 संकट मोचन, 2 कैंट स्टेशन पर हमला, 11 जुलाई 2006 मुंबई की लोकल ट्रेन पर हमला ,गोहाटी विस्फोट, बंगलूरू विस्फोट ,दिल्ली मे दो बार विस्फोट, हैदराबाद मे दो बार विस्फोट, मुंबई मे अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला, अहमदाबाद हमला,1 जनवरी 2008 को रामपुर के सीआरपीएफ कैंप पर हमला यानि हजारो लोगो की जान . और अगर इस सभी हमलों मे मुस्लिम ही पकड़े जाते है तो इसमे सुरक्षा एजेंसी क्या करे, स्लिपर सेल चलाकर आतंकवादियों ने अपने स्थानीय समर्थन जुटा रखे है तो इसमे देश क्या करे. सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति है जो देश मे नये पाकिस्तान की स्थापना की ओर प्रेरित कर रहा हैं.. रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट हो या फिर सच्चर कमीशन की रिपोर्ट..सारे हिंदूओं के खिलाफ साजिश रची जा रही है केंद्र सरकार के द्वारा और देश का आम जनमानश समझता नही हैं....बुद्धिजिवियों को चाहिए कि तुष्टीकरण के विरूद्ध जनमानश तैयार करे

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