आल इंडिया शिया काउंसिल के प्रमुख मौलाना जहीर अब्बास रिजवी ने कहा कि ब्लास्ट वाली जो ई-मेल चैनलों को भेजी गयी वो नकली है, क्योंकि उसमेम लिखा है - 'बिस्मिल्ला रहेमान रहीम', और एक सच्चा मुसलमान इस पवित्र वाक्य को लिखते समय गलती नहीं. कर सकता.
बहुत माकूल दलील दी है मौलाना साहिब ने. एक सच्चा मुसलमान 'बिस्मिल्लाह-अर-रहमान-अर-रहीम' को लिखने में गलती नहीं कर सकता. लेकिन क्या एक अध-पढ़, धर्मांध, मूढ़, जिसे खुदा नहीं समझाया गया, सिर्फ दहशत समझाई गयी है यह गलती कर सकता है?
कातिब की भूलों पर भी माजरत की तलब
उनकी इंसानियत के क्या कहने
आसिम की हिमायत, खुदा का लेके नाम
वो भोली हिकमतों के क्या कहने
(विश्व)
अच्छा लगता अगर जहीर साहिब ने इसकी जगह यह कहा होता कि एक 'सच्चा मुसलमान' बम विस्फोट जैसा अपवित्र काम नहीं कर सकता.
अगर उन्होंने आह्वान किया होता कौम का, और फतवा दिया होता कौम से उन खूनियों को निकालने का, ठीक उसी तरह जिस तरह फतवा दिया गया सलमान के अब्बा सलीम के खिलाफ, क्योंकि उनके यहां गणेश पूजा हुई.
किसी भी दुर्घटना के बाद धर्म के हाकिम (चाहे हिन्दू हों, या मुसलमान) हमेशा गलत संदेश ही क्यों भेजते हैं ?
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कातिब - लेखक
माजरत - मुआफी
आसिम - पापी
हिकमत - तरकीब
वैसे किसने कहा की मुसलमान ने लिखा है?
ReplyDeleteसब तो यही कह रहे है की आतंकवादी का कोई धर्म नही होता फिर जब वो आतंकवादी है तो मुसलमान कैसे हो सकता है?
ठीक कहा मौलाना साहब ने एक सच्चा मुसलमान ऐसा लिख ही नही सकता पर एक आतंकवादी ज़रूर लिख सकता है क्योंकि वो मुसलमान नही है.. जैसा की हर जगह पढ़ा जाता है की .. आतंकवादियो का कोई धर्म या मज़हब नही होता..
मौलाना साहब को मेरी ओर से बधाई दीजिएगा इस सनसनीखेज खुलासे के लिए
sahi he kush
ReplyDeleteएकदम दुरुस्त
ReplyDelete"अगर जहीर साहिब ने यह कहा होता कि एक 'सच्चा मुसलमान' बम विस्फोट जैसा अपवित्र काम नहीं कर सकता. अगर उन्होंने आह्वान किया होता अपनी कौम का, और फतवा दिया होता कौम से उन खूनियों को निकालने का" तो एकदम सही होता
अजीब हालात हैं, आज एक मुस्लिम साँस भी लेता है तो आप लोग उसकी साँस पर भी शक करने लगते हैं...ये मानसिकता ठीक नही है...आज हम ब्लोगर्स का फ़र्ज़ है इस ज़हर से समाज को निकलने का, प्यार बांटने का, लेकिन अफ़सोस, आप ही नफरत बांटने का काम करते हैं...
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