Friday, September 26, 2008

क्या क्रिश्चियन आतंकवाद भी कभी था

अमेरिकन लोगों में यह बात प्रचलित है कि उनकी सरकार को नये-नये terms गढ़ने का शौक है, जैसे collateral damage, ऐसी ही एक देन है islamic terror, मतलब आतंकवाद को धार्मिक जामा पहनाना.

यह बहुत सुविधाजनक उपाय है. किसी भी कौम के खिलाफ नफरत भरने का. लोगों की जबान पर शब्द चढ़ा दीजिये, और धीरे-धीरे उनकी सोच भी वही बन जायेगी. इसी बात के बारे में जार्ज आर्वेल ने अपनी किताब 1984 लिखी थी.

लेकिन अगर आतंकवाद धार्मिक हो, तो christian terror इस्लामिक आतंकवाद से कुछ कम टेरेराइज़िंग नहीं था. आइये शुरुआत करें बाइबिल की कुछ आयतों से.

1. Ezekiel 9:6 "Slay utterly old and young, both maids, and little children, and women . . ."

2. Isaiah 13:16 "Their children also shall be dashed to pieces before their eyes; their houses shall be spoiled, and their wives ravished."

3. They entered into a covenant to seek the Lord, the God of their fathers, with all their heart and soul; and everyone who would not seek the Lord, the God of Israel, was to be put to death, whether small or great, whether man or woman. (2 Chronicles 15:12-13 NAB)

4. Suppose a man or woman among you, in one of your towns that the LORD your God is giving you, has done evil in the sight of the LORD your God and has violated the covenant by serving other gods or by worshiping the sun, the moon, or any of the forces of heaven, which I have strictly forbidden. When you hear about it, investigate the matter thoroughly. If it is true that this detestable thing has been done in Israel, then that man or woman must be taken to the gates of the town and stoned to death. (Deuteronomy 17:2-5 NLT)


ये सारी लाइनें बाइबिल के संस्करणों से हैं. यह सिर्फ तीन या तीस नहीं हैं. अगर आप उन लाइनों की पूरी सूची देखना चाहते हैं जो इन्सानियत के खिलाफ हैं तो इस पन्ने पर जाइये - http://www.evilbible.com/

क्रिश्चियन धर्म के कुछ पोप धार्मिक क्रूरता के मामले में ओसामा से भी मीलों आगे रहे हैं. ओसामा तो सिर्फ एक घटना में 5 हजार लोगों की हत्या कर सका लेकिन क्रिश्चियनों के जेहाद की एक बानगी यह देखिये : -

अर्नाड ने पोप Innocent III (innocent मतलब निर्दोष?) को लिखा
"आज के दिन, ऐ पुण्यात्मा, बीस हजार काफिरों (heretics) को तलवार के घाट उतारा. बिना परवाह किये स्थिति, उम्र, या लिंग के."

रोम के कैथोलिक चर्च ने हर उस उपाय का उपयोग किया जिससे दूसरे धर्मों का नाश, और स्वधर्म का प्रसार हो सके. चाहे वह हों: -

1. धार्मिक जेहाद (Crusades)
2. दूसरे मत वालों की हत्या (Trials & burning of heretics en masse)
3. धर्म की रुढ़ीयों को न मानने वालों की हत्या (Death of Galileo & Socrates, and millions others)


कहते हैं कि हिटलर द्वारा यहूदियों के संहार को मिलाकर कई करोड़ लोग क्रिश्चियन चर्च की धार्मिक हिंसा का शिकार हुए. यह संख्या कोई छोटी-मोटी नहीं है. इन हत्याओं में चर्च की सहमति, उसका आदेश, और प्रोत्साहन था. धर्म के नाम पर कत्ल करना पोप के कथनानुसार सबाब दिलवाता था, जिससे निश्चित ही स्वर्ग में जगह मिलती.

उस समय चर्च की स्थिती राजा से भी शक्तिशाली थी. और धार्मिक सत्ताधारी पोप और उसके गुर्गे आज के कुछ इमामों और मौलवियों की तरह लोगों को भड़काकर कुछ भी करवा लेते थे.

यीसू ने अपना खून बहाकर हम सबको बचा लिया. यह कहता है क्रिश्चियन धर्म. एक ऐसा मसीह जो इस कदर दया से भरा थी कि खुद जान दी इन्सानों के लिये. ऐसे धर्म के मानने वाले सबका खून बहाने में लगे थे.

तो फिर जो चर्च पहले पूरे समाज को हत्या के लिये उकसा पाता था, आज ऐसा क्यों नहीं कर पाता?

दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना.

क्रिश्चियन धर्म में बदलाव दूसरे धर्म के लोगों की समझाइश, या जोर आजमाइश से नहीं, उसी धर्म के भीतर पैदा होने वाले समझदार लोगों की वजह से हुआ.

कैथोलिक चर्च के खूनी खेल की वजह से बहुत सारे क्रिश्चियन वहां से अलग होने लगे, और नये समुदाय गठित होते रहे. इनमें से कूछ का तो कैथोलिक चर्च के द्वारा समूल नाश भी किया गया. लेकिन प्रोटेस्टेंट मजबूत हो गये, साथ ही राज्य जब समझ गया की चर्च के रहते राजा के पास पृर्णाधिकार नहीं है, तो उसने चर्च को राज्य से अलग करने की मुहिम चलाई.

परिणाम स्वरूप आज चर्च दया और प्रेम की बात करता है. जब साइंसदां कहते हैं कि सूर्य पृथ्वी के नहीं, पृथ्वी सूर्य के चारों और घूमती है, तो उनके जलाने के बजाय बाइबिल में सुधार की बाते करता है.

यह कैसा बदलाव, कैसा अबाउट टर्न आया?

***

आज जो लोग 'इस्लामिक आतंकवाद' डर रहे हैं उन्हें भी पता चले की इतिहास खुद को दोहरा रहा है.

जो कट्टरपंथी हैं इस्लाम के, उनका इलाज इस्लाम के ही बुद्धजीवी, इस्लाम के moderates, इस्लाम के heroes के पास ही है.

अगर christian terrorism काबू में आ सकता है, तो islamic terrorism भी.

4 comments:

  1. बहुत सही !

    पर हिन्दुओं के लिये क्या सलाह है? क्या इस्लामी और क्रिश्चियन जेहाद-क्रूसेड के 'क्रासफ़ायर' में हिन्दू ऐसे ही मारे जाते रहेंगे? हिन्दुओं को भी अपने धर्म के चिरजीवन या अक्षयजीवन (सस्टेनेबिलिटी) के लिये समयानुकूल व्यावहारिक उपाय निकालना पड़ेगा, नहीं तो सदा 'लतियाये' जायेंगे।

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  2. बहुत बढ़िया. मध्ययुग की कहानी ऐसी ही है. पर अनुनाद सिंह जी की बात भी सौ प्रतिशत सच है.

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  3. आप तो धर्मनिरपेक्षता को ही खतरे में डाल रहे हैं. :)

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  4. इस्‍लाम क्रिश्‍चियन के बाद हिन्‍दूओं के मनुवादी धर्मग्रंथ ने भी इतिहास बनाया हैा आपके विचार से मै कफी संतुष्‍ट हुा लेकिन परंपरा सही रही है

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